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अनुसूचित जनजाति के परिवारों को शीतकालीन प्रवास की भूमि पर अधिकार देने की मांग

गोपेश्वर, 28 जनवरी (हि.स.)। चमोली जिले के सीमावर्ती गांव नीती-घाटी के अनुसूचित जनजाति के प्रवासियों ने गुरुवार को जिलाधिकारी चमोली को एक ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि शीतकाल के उनके प्रवास के दौरान गांवों की जमीन पर उनका अधिकार देकर उसे विनियमितिकरण किया जाए। अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह फरकिया व मनोज रावत का कहना है कि नीती घाटी के अनुसूचित जनजाति के लोग पीढ़ियों से शीतकाल में अपने छह माह के प्रवास के लिए चमोली जिले के नीचले क्षेत्रों के विभिन्न पर रह कर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। साथ ही इन स्थानों पर उन्होंने अपने मकान व कृषि का कार्य भी शुरू किया है। जिन शीतकालीन प्रवास स्थानों पर अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं, वह भूमि श्रेणी चार में आती है और अभी तक यह भूमि इन लोगों के नाम दर्ज नहीं है, जिससे भविष्य में इन लोगों के सामने परेशानियां उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा सरकार को चाहिए कि अनुसूचित जन जाति शीतकालीन प्रवास वाली भूमि को कब्जाधारियों के नाम दर्ज कर विनियमितीकरण किया जाना चाहिए ताकि उन्हें भूमि पर अधिकार मिल सके। इस संबंध में गुरुवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर शीतकालीन प्रवास की भूमि पर अनुसूचित जनजाति के परिवारों को अधिकार देते हुए विनियमितीकरण किये जाने की मांग की गई है। ज्ञापन देने वालों में लक्ष्मण सिंह फरकिया, मनोज रावत, बैशाख सिंह, धीरेंद्र गरोडिया, पितांबर मोल्फा, रणजीत बुटोला, देवेंद्र सिंह रावत, ठाकूर सिंह राणा, धर्मेंद्र नेगी आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश-hindusthansamachar.in

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