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एम्स में हरिद्वार के बच्चे के दिल का जटिल ऑपरेशन

ऋषिकेश, 07 अप्रैल (हि.स.) । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग ने हरिद्वार जिले के रुड़की लंढौंरा निवासी सात वर्षीय बच्चे की दिल की तीन जटिल बीमारियों की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार ऐसे केस आमतौर पर दुर्लभ होते हैं। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कॉर्डियक सर्जन डा. अनीश गुप्ता व उनकी टीम की सराहना की है। निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि यह टैट्रालोजी ऑफ फैलोट, सिंगल कोरोनरी, पल्मोनरी एम्बोलिजम नामक दुर्लभ बीमारी थी। जटिल ऑपरेशन सफल रहा। इस बच्चे के दिल में गंभीर तकलीफ थी।पिछले कुछ वर्षों से सांस फूलनी भी शुरू हो गई थी। वर्ष 2020 में परिजनों ने बच्चे का एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य परीक्षण कराया था। इको व एंजियोग्राफी से पता चला कि उसके दिल में छेद है। पल्मोनरी वाल्व में रुकावट (टैट्रालोजी ऑफ फैलो) है। हृदय को रक्त पहुंचाने वाली सिंगल कोरोनरी आरटरी (एक धमनी) है, जबकि इन धमनियों की संख्या आमतौर पर दो होती है। उन्होंने बताया कि सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने जटिल सर्जरी का परामर्श दिया। मगर बीते साल लॉकडाउन की वजह से ऑपरेशन टल गया। इसी बीच बच्चे को लगातार बुखार आने लगा। दोबारा जांच कराई गई तो पता चला कि उसके फेफड़े की नलियों में पल्मोनरी इंबोलिजम (खून के थक्के) बन गए हैं। बच्चे को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए जटिल ऑपरेशन की जरुरत थी। एम्स के सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डा. अनीश गुप्ता ने इस मेजर सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डा. अनीश ने बच्चे के दिल के छेद को बंद कर उसके फेफड़ों से जमा खून के थक्के निकाले, साथ ही बड़ी सावधानी से उसके पल्मोनरी वाल्व को भी सुरक्षित बचा लिया। उन्होंने बताया कि बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है। इसे एम्स अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में हृदय की जन्मजात बीमारियां जैसे एएसडी, वीएसडी, पीडीए, टीओएफ, पीएपीवीसी, सिंगल वेंट्रियल आदि का उपचार उपलब्ध है। इन बीमारियों का इलाज आयुष्मान भारत योजना और राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम आरबीएसके स्कीम के अंतर्गत मुफ्त होता है। हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम/मुकुंद

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