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चारधाम यात्राः चुनौतियां अपार, क्या करे सरकार

-कोरोना के मामले कम होने के बावजूद लापरवाही की गुंजाइश नहीं है -देवस्थानम बोर्ड को लेकर चल रहे आंदोलन के प्रहार को भी रोकना है देहरादून, 11 जून। (हि.स.)। कोरोना के घटते मामलों के बीच राज्य सरकार का ध्यान इस वक्त सबसे ज्यादा किसी एक बात पर है तो वह चारधाम यात्रा का संचालन है। सरकार जल्द से जल्द सुरक्षित चारधाम यात्रा का संचालन करना चाहती है, मगर इसके रास्ते में चुनौतियों के पहाड़ खडे़ नजर आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण फिर से न फैले, इसका बंदोबस्त करते हुए कौन से वह उपाय हो सकते हैं, जो यात्रा को पटरी पर ला दें, सरकार इसी माथापच्ची में उलझी है। इन स्थितियों के बीच, देवस्थानम बोर्ड को लेकर हक हकूकधारियों और पंडा समाज के आंदोलन ने सरकार को और चिंता में डाल दिया है। उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट कोरोनाकाल में पिछले महीने खुल चुके हैं, लेकिन वहां पर सिर्फ पुजारियों की ही मौजूदगी है। वे ही नित्य पूजा आरती कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए यात्रा अभी प्रतिबंधित है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सरकार कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए खोल सकती है। पहले चरण में उत्तराखंड के स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए चारों धाम पहुंचने के रास्ते खोले जा सकते हैं। इसके बाद स्थितियों की समीक्षा करते हुए अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं का नंबर आ सकता है। सरकार ऐसा प्रयोग पिछले साल भी कर चुकी है। इस बार वैसे भी चारधाम के कपाट अपेक्षाकृत थोड़ी देर से खुले हैं। ऐसे में यात्रा कारोबारियों को ज्यादा नुकसान से बचाने के लिए सरकार चारधाम यात्रा के संचालन को लेकर गंभीर है। मगर कोरोना ने इस बार जैसा विकराल रूप उत्तराखंड में दिखाया है, उससे भी सरकार सहमी हुई है। इस बार कोरोना संक्रमितों की संख्या उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में एक दिन में साढे़ नौ हजार तक भी पहुंची है। सरकार बहुत ठोक बजाकर किसी निर्णय पर आगे बढ़ना चाहती है। इन स्थितियों के बीच देवस्थानम बोर्ड उसके लिए गले की फांस साबित हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सख्ती से देवस्थानम बोर्ड का गठन कर दिया था, जिसके तहत चारों धाम समेत 50 से ज्यादा मंदिर एक छतरी के नीचे आ गए हैं। मगर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर परिवर्तन के बाद स्थितियों में नया मोड़ आ गया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस बोर्ड को लेकर पुनर्विचार पर सहमति दी है। इसके बाद, हक हकूकधारी और पंडा समाज दबाव बनाने पर उतर आया है। वैसे भी, विधानसभा चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है। ऐसे में देवस्थानम बोर्ड भंग करने के पक्षधरों को दबाव बनाने का यह उपयुक्त समय नजर आ रहा है। पर्यटन और तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज के बयानों से भी इस मामले में उबाल आया है। हक हकूकधारियों और पंडा समाज ने 21 जून से बेमियादी प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। हालांकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कह रहे हैं कि कोविड की स्थिति सामान्य हो जाने पर सभी पक्षों से बात की जाएगी। ऐसे में देखना यही है कि सारे अवरोधों को दूर करते हुए सुरक्षित और सहज चारधाम यात्रा की राह पर सरकार किस तरह से आगे बढ़ पाती है। हिन्दुस्थान समाचार /विपिन बनियाल/मुकुंद

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