108 वर्षीय धर्मगुरु हाफिज अब्दुल वहीद का निधन

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पौड़ी, 28 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यालय पौड़ी के लोअर बाजार निवासी 108 वर्षीय धर्मगुरु मो. हाफिज अब्दुल वहीद का निधन हो गया है। उनके निधन से मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि पूरे पौड़ी क्षेत्र में शोक की लहर है। वे सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर हमेशा से मुखर रहे। शहरवासी उन्हें हाफिज मियां के नाम से बुलाते थे। उन्होंने राज्य आंदोलन में भी सहभागिता निभाई थी। मुख्यालय पौड़ी निवासी धर्मगुरु हाफिज अब्दुल वहीद का जन्म वर्ष 1913 में यूपी के बिजनौर जिला स्थित कीरपुर में हुआ था। वे वर्ष 1928-29 में धर्म के प्रचार व व्यापार के लिए मुख्यालय पौड़ी पहुंचे। यहां उन्होंने बारबर के रूप में कार्य करना शुरू किया। वर्ष 1931 में तत्कालीन कमिश्नर ने उन्हें बेहतर कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। युवा हाफिज को समाज में हर किसी से मिलने-जुलने व नए लोगों से नई-नई जानकारियां लेना बहुत अच्छा लगाता था। शहर में धीरे-धीरे उनकी लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ने लगी। हाफिज भी शहर के सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखरता से सामने लाने लगे। यहां लोग उन्हें अब हाफिज मियां के नाम से जानने-पहचानने लगे। उन्हें गढ़वाल से इतना लगाव हो गया कि वे परिवार सहित पौड़ी में ही बस गए। वे अपने पीछे तीन बेटे व एक बेटी का हरा-भरा परिवार छोड़ गए हैं। उन्हें तीनों बेटों व परिजनों ने कंडोलिया रोड स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया। मो. हाफिज मियां के बेटे अब्दुल रउफ (गुड्डू) ने बताया कि पिता ने 50 से अधिक वर्ष तक बारबर के रूप में कार्य किया। साथ ही वे ठेकेदारी भी करते थे। उन्होंने बताया कि समाज में घुल-मिलकर रहने की उनकी आदत अंतिम सांस तक बनी रही। गुड्डू ने बताया कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन में उनकी सहभागिता रही है। उन्होंने हमेशा अपने मताधिकार का उपयोग किया। मताधिकार के प्रति स्वयं जागरूक रहकर औरों को प्रोत्साहित करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें गढ़वाल में अंग्रेजों के शासन से लेकर देश की आजादी सहित गढ़वाल के इतिहास की गहरी जानकारी थी। वे अक्सर युवा पीढ़ी को समय-समय पर अंग्रेजी शासन से जुड़ी जानकारियां साझा करते रहे हैं। समाजसेवी राहत हुसैन ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए बताया कि हाफिज मियां सौम्य सरल स्वभाव के धनी व्यक्ति थे। 15 अगस्त, 26 जनवरी आदि समाराहों में भी उनको जिला प्रशासन द्वारा कई बार सम्मानित किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/ राज

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