’बच्चों को भी हो सकता है डिप्रेशन, संजीदा रहें’
’बच्चों को भी हो सकता है डिप्रेशन, संजीदा रहें’

’बच्चों को भी हो सकता है डिप्रेशन, संजीदा रहें’

गाजियाबाद, 24 जुलाई (हि.स.)। मनोचिकित्सकों का कहना है कि डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति है जिसे हम बीमारी मानने से बचते हैं। इसे छिपाने का प्रयास करते हैं। लेकिन हमारा यही रुख बीमारी को गंभीर बना देता है। किसी भी बीमारी का उपचार जितनी जल्दी शुरू किया जाए, नतीजे उतने ही बेहतर होते हैं। यह बात डिप्रेशन पर भी लागू होती है। जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट डाॅ. साकेतनाथ तिवारी का कहना है कि बड़ों ही नहीं बच्चों में भी डिप्रेशन होता है। समय रहते इसकी पहचान और काउंसलिंग जरूरी है। दरअसल डिप्रेशन से केवल मानसिक ही नहीं शारीरिक विकास भी बाधित होता है। इसलिए बच्चों के कोमल मन को जानने की कोशिश करें और कोशिश करें कि अपनी परेशानी बच्चों पर न थोपें। बच्चों के डिप्रेशन को जाहिर करने का तरीका थोड़ा अलग होता है। अचानक पढ़ाई से बचने लगना, चुप चुप रहना, किसी से कम घुलना मिलना, क्लास में सवाल का जवाब जानने पर भी उत्तर न देना, सोते-सोते चैंककर उठना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा ज्यादा करना, खेल में रूचि कम होना, एकाग्रता में कमी या अति सक्रियता इसके लक्षण हो सकते हैं। जरूरत है इन लक्षणों को पहचानने और बच्चे के साथ आत्मीयता से बात करने की। जरूरत लगे तो मनोचिकित्सक के पास लेकर जाएं। शुरुआत में थोड़ी काउंसलिंग से भी काम चल सकता है। उन्होंने बताया कि बच्चों को पारिवारिक तनाव से बचाएं। माता-पिता के बीच अक्सर होने वाला विवाद बच्चों के कोमल मन को आहत करता है। आजकल कोविड-19 के चलते तमाम परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इस विषय में पति-पत्नी आपस में चर्चा जरूर करें, लेकिन बच्चों के सामने ऐसा करने से बचें। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके बच्चे से कोई छेड़छाड़ तो नहीं करता। बच्चे में डिप्रेशन आने का यह भी एक कारण होता है। बच्चे ज्यादा दिन तक डिप्रेशन में रहें तो उनका शारीरिक विकास भी रूक जाता है। दरअसल मस्तिष्क से होने वाले रासायनिक तत्वों का स्राव प्रभावित होने से ऐसा होता है। इसलिए बच्चों को लेकर संजीदा रहें। सप्ताह में तीन दिन जिला अस्पताल में होती है ओपीडी कोई भी मानसिक परेशानी होने पर जिला एमएमजी अस्पताल स्थित पुराना महिला अस्पताल वाली बिल्डिंग में संचालित जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में साइकेट्रिस्ट को मिल सकते हैं। डाॅ. साकेतनाथ तिवारी ने बताया कि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक ओपीडी होती है। उन्होंने बताया कोविड 19 के चलते ओपीडी सेवा बंद थी। लेकिन अब इसे पुनः सुचारू कर दिया गया है। एक रूपए का पर्चा बनवाकर साइकेट्रिस्ट को दिखाया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में जरूरत पड़ने पर दवा निशुल्क मिलती हैं। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 0120-4155313 पर भी सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक काउंसलिंग सुविधा उपलब्ध है। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली-hindusthansamachar.in

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