हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति, संपूर्ण सृष्टि का करती है सरंक्षण : प्रो. पवन शर्मा
हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति, संपूर्ण सृष्टि का करती है सरंक्षण : प्रो. पवन शर्मा

हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति, संपूर्ण सृष्टि का करती है सरंक्षण : प्रो. पवन शर्मा

मेरठ, 16 सितम्बर (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विवि के प्रो. पवन शर्मा ने कहा कि हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति है, जो संपूर्ण सृष्टि का संरक्षण करती है। हिन्दू संस्कृति में रहने वाले अपने उठने-बैठने, अपनी कार्यशैली में प्रकृति का संरक्षण करते हैं। प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भारतीय प्रज्ञान परिषद, प्रज्ञा परिषद, और देवभूमि विचार मंच उत्तराखंड द्वारा बुधवार को आयोजित अभ्यास वर्ग के प्रथम सत्र में ’हिन्दू धर्म एवं हिन्दुत्व’ विषय पर प्रो. पवन शर्मा ने अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि हिन्दू पद्धति में ’भूमि मेरी माता है। मैं इसका पुत्र हूं’ मानकर चलते हैं। हम जानते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। हमें यह भी मानना चाहिए कि भारत का आधार अध्यात्म है।अर्थात भारत की एकता का आधार अध्यात्म ही है। जिसे आसानी से मिटाया नहीं जा सकता है। द्वितीय सत्र में डाॅ. अंजली वर्मा ने कहा कि समाज में महिलाओं के निर्णयों को स्वीकार करने से महिला चिंतक तैयार होगी। आज इतिहास के पुनर्विलोकन की आवश्यकता है। समाज, जाति, क्षेत्रों से आगे बढकर राष्ट्रीय चिंतन करें। तब भारतीय संस्कृति के अनुरूप पहचान बनेगी, जिसका लाभ समस्त संसार और प्राणि मात्र और सृष्टि को होगा। डॉ. देवेश मिश्रा ने प्रबुद्ध कौन विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत में पढ़ाई-लिखाई करने वालो को नीचे से ऊपर सभी प्रबुद्ध कहने लगे। किसी भी कार्य करने वाले को कुशल कहने लगे। लेकिन ऐसा नहीं है। बुद्धि से तात्पर्य बुद्धि का है। वहीं ज्ञान से भी है। बुद्ध, सुबुद्ध, प्रबुद्ध का संबंध प्रज्ञावान से है। मन और मस्तिष्क के कार्यों में अंतर को प्रज्ञावान कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए। मन के प्रयोग की अपेक्षा मस्तिष्क का प्रयोग बड़ा नहीं है। डाॅ. गौरव ने कहा कि हमें बौद्धिक क्षेत्र में संपर्क स्थापित करने चाहिए। सोशल साइट्स, मीडिया, विषय आधारित समूह बनाकर कार्य करना होगा। हमें शोध पर आधारित कार्य करने वालो को प्रोत्साहित करना होगा। क्षेत्रीय संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने क्षेत्र के प्रमुख कार्यकर्ताओं के पूर्व हुए अभ्यास वर्ग के सकारात्मक परिणामों के बाद, सभी कार्यकर्ताओं पर विचार करते पांच द्विवसीय अभ्यास वर्ग करने का निश्चय किया। अभ्यास वर्ग का संचालन डॉ. प्रवीण तिवारी एवं प्रो. वीके सारस्वत ने किया। इस मौके पर प्रो. वीरपाल सिंह,. अवनीश त्यागी, डॉ. चैतन्य भंडारी, अनुराग विजय, डॉ. जीआर गुप्ता, डॉ. शशि, डॉ. अनामिका, डॉ. अलका तिवारी, डॉ. नीतू वशिष्ठ, डॉ. वंदना वर्मा, डॉ. योगेश त्यागी, डॉ. जितेंद्र, डॉ. कृष्ण कांत आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप/दीपक-hindusthansamachar.in

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