हिन्दी के विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने ई-संगोष्ठी के जरिए किया चिंतन
हिन्दी के विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने ई-संगोष्ठी के जरिए किया चिंतन

हिन्दी के विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने ई-संगोष्ठी के जरिए किया चिंतन

-विभिन्न प्रतियोगिताओं का ऑनलाइन हुआ आयोजन गाजियाबाद,16 सितम्बर (हि.स.)। मेवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बीएड एवं डीएलएड. विभाग ने हिंदी सप्ताह के दौरान ई-संगोष्ठी, विभिन्न प्रतियोगिताओं समेत नई शिक्षा नीति और हिन्दी से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया। ई-संगोष्ठी में विप्र फाउंडेशन हरियाणा की प्रदेशाध्यक्ष व साहित्कार डाॅ. सविता उपाध्याय, मयूर पब्लिक स्कूल की शिक्षिका सुषमा शर्मा व चेतराम काॅलेज आॅफ एजुकेशन की सहायक प्रोफेसर दयावती देवी ने हिन्दी के पक्ष में अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। हिन्दी के वैश्वीकरण विषय पर सविता उपाध्याय ने कहा कि हिन्दी का विश्व में अधिक सम्मान है, इस बात को हर भारतीय समझे। अनेक एप्लीकेशन मोबाइल में हिन्दी में आ गई हैं। युवा वर्ग इसका अधिक से अधिक उपयोग करे। इनके उपयोग से हिन्दी भाषा को और भी सुगम व आसान बनाया जा सकता है। बीएड विभाग की अध्यक्ष डाॅ. गीता रानी ई-संगोष्ठी की संयोजक व डाॅ. मोनिका व कैलाश तिलवारी सह-संयोजक रहे। संचालन रितु सिंघल व छात्र संजीव ने संभाला। डीएलएड विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना से किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एमबी गल्र्स काॅलेज की शिक्षिका शैलप्रभा अग्रवाल ने अपने संबोधन में वर्तमान में हिंदी की महत्ता पर विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि हिंदी की यात्रा छोटी नहीं है हम उसे एक दिन के रूप में मनाते हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र के अथक प्रयास से सन 1900 से 1936 तक हिंदी का विकास हुआ और 1953 में हिन्दी को राजभाषा बना दिया गया। उनके विचार में हमें साहित्यिक से पहले सामान्य बनना है और इसको जनभाषा बनाना है। प्रश्न है कि भाषा की वैज्ञानिकता जरूरी है या प्रामाणिकता, भाषा के विकास के लिए व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है तथा हम मन व हृदय से जुड़ें। यह एक वैज्ञानिक भाषा है तथा इसमें अनेक विधाएं हैं। वर्णों के उच्चारण स्थान का भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्ञान प्रदान किया जाता है। हिंदी से बड़ा योगदान अन्य किसी भाषा का नहीं है। पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण करते-करते हम हिंदी को भूल गए हैं ये हमारा दुर्भाग्य है। हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारी को नहीं भूलना है। उन्होंने शिक्षा व विद्या में अंतर स्पष्ट किया। महाराष्ट्र में हिंदी दिवस पर लिए गए नवीन निर्णय की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि कानून की पढ़ाई हिंदी में ही होगी यह हिंदी विकास के क्षेत्र में बड़ा चरण है। कार्यक्रम की संचालिका डी.एल.एड. प्रशिक्षु श्वेता व साधना ने संचालन के साथ साथ कविता के माध्यम से हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षु विनीता एवं पिंकी ने भी भावाभिव्यक्ति दी। काजल पांडे एवं रूबी यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। तकनीकी दृष्टिकोण से अपर्णा और प्रेम प्रकाश ने कार्यक्रम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। विभागाध्यक्ष अमित कुमार ने हिंदी राजभाषा के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए वर्तमान में हिंदी भाषा की स्थिति को सुधारने में सभी कोे जागरूक होने की बात कही। उप-विभागाध्यक्ष डॉक्टर बबीता सिंह ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए हिंदी भाषा के पतन पर गहन चिंता जताई। डॉक्टर सुषमा रानी व हरमीत कौर ने भी हिंदी के विकास एवं महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की संयोजिका गरिमा ने हिंदी की मुख्य वक्ता सहित उपस्थित सभी प्राध्यापक बंधुओं का आभार व्यक्त किया। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने बताया कि कोरोनाकाल के कारण हिन्दी सप्ताह पर सभी कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किये गये। इनके माध्यम से शिक्षण स्टाफ के अलावा विद्यार्थियों ने भी नये प्रयोगों से हिन्दी के महत्व को जाना-पहचाना। डाॅ. अलका अग्रवाल के अनुसार मेवाड़ की समाज व देश के प्रति ऑनलाइन भी शिक्षण-प्रशिक्षण की मुहिम जारी रहेगी। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली /रामानुज-hindusthansamachar.in

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