सेटेलाइट इमेज के बेस मैप पर आधारित होगी गोरखपुर की महायोजना
सेटेलाइट इमेज के बेस मैप पर आधारित होगी गोरखपुर की महायोजना

सेटेलाइट इमेज के बेस मैप पर आधारित होगी गोरखपुर की महायोजना

गोरखपुर, 08 सितंबर (हि.स.)। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को हैदराबाद के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र से शहर का सेटेलाइट इमेज आधारित बेस मैप मिल गया है। इसके आधार पर ही गोरखपुर की महायोजना को परवान चढ़ाया जाएगा। दिसम्बर से जनवरी तक शहर को नया मास्टर प्लॉन मिल जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि आंकड़ों के विश्लेषण का काम महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। सेटेलाइट आधारित इमेज से महायोजना के कार्य में तेजी आएगी। नगर नियोजन विभाग 2031 तक के मास्टर प्लॉन को लेकर कवायद तेज कर दी है। अब बेस मैप मिलने के बाद नगर नियोजन विभाग ने सर्वे का काम तेज कर दिया गया है। विभाग ने कर्मचारियों की संख्या को बढ़ा दी है। बता दें कि पूर्व से चले आ रहे सर्वे में प्राधिकरण में शामिल गांवों को भी शामिल किया गया है। प्राधिकरण ने नई महायोजना में 319 गांवों को शामिल करने का निर्णय लिया है। सर्वे टीम ने मेडिकल रोड पर परसिया, नाहरपुर, जौरहर, सरया, गुलहरिया, लगड़ी गुलहरिया आदि गांवों में इमेज को जुटाया है। इस बार मास्टर प्लॉन के साथ ही जोनल प्लॉन भी तैयार किया जाएगा। टाउन प्लॉनर हितेष ने बताया कि सर्वे का काम तेजी से किया जा रहा है। सितम्बर के अंत तक आंकड़ा जुटाकर विश्लेषण का काम तेज दिया जाएगा। नई तकनीक से लाभ सेटेलाइट इमेज को आधार बनाकर महायोजना तैयार करने के कई लाभ है। इसमें त्रुटि होने की संभावना नहीं होती है। सेटेलाइट इमेज के आधार पर न सिर्फ अवैध निर्माण पर अंकुश लगेगा बल्कि कौन सा निर्माण कब हुआ है, यह भी पता चल जाएगा। इतना ही नहीं, यदि पाँच साल के लिए कोई योजना बनानी है तो भी कम्प्यूटर के दर्ज आकड़ों के आधार पर तत्काल काम हो सकेगा। नई महायोजना में अभी तक नए सिरे से काम करना होता है। सेटेलाइट इमेज के आधार पर बन रही महायोजना से पुराने आंकड़े का आसानी से प्रयोग किए जा सकेंगे। डेटा विश्लेषण में भी आसानी होगी। लेडार सर्वे का भी मिलेगा लाभ नगर निगम और जीडीए ने संयुक्त रूप से ड्रेनेज की समस्या को लेकर लेडार सर्वे कराया है। महायोजना बनाने में इस सर्वे का भी लाभ लिया जाएगा। इससे मदद मिलेगी कि कौन सा एरिया लो-लैंड है कौन सा नहीं है। ऐसे में निर्माण को लेकर प्लानिंग में मदद मिलेगी। आवासीय योजनाओं के लिए सुुरक्षित जमीन को चिह्नित करने में भी आसानी होगी। इस सम्बंध में जीडीए के उपाध्यक्ष अनुज कुमार का कहना है कि हैदराबाद से सेटेलाइट आधारित बेस मैप मिलने के बाद महायोजना का काम तेज हो गया है। नई तकनीक से महायोजना में गलती की संभावना न के बराबर है। डेटा का विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट को दोबारा हैदराबाद भेजा जाएगा। साल के अंत तक महायोजना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद/दीपक-hindusthansamachar.in

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