सपनों को लगे पंख, रोजगार और मकान ने बदल दी 14 मुसहर परिवारों की जिंदगी
सपनों को लगे पंख, रोजगार और मकान ने बदल दी 14 मुसहर परिवारों की जिंदगी

सपनों को लगे पंख, रोजगार और मकान ने बदल दी 14 मुसहर परिवारों की जिंदगी

सुलतानपुर, 05 अक्टूबर (हि.स.)। घांस-फूंस के छप्पर के नीचे जिंदगी बसर करने वाले मुसहर जाति के दर्जन भर परिवाराें की तकदीर बदल गयी। मुख्यमंत्री की योजनाओं के माध्यम से जिम्मेदारों की कोशिश रंग लाई और मुहल्ले का कायाकल्प कर घर, शौचालय व रोजगार के साधनों की बहाली ने मुरझाए चेहरे पर मुस्कान पैदा कर दी। मुसहर जाति के जगदीश को नहीं पता कि सरकारी योजनाएं भी कुछ होती है। उन्हें तो सिर्फ यही पता था कि सिर्फ जुगाड़ और बड़े लोगाें की पहुंच वालों के लिए ही योजनाएं चलती हैं। मेहनत मजदूरी कर दो जून की रोटी के जुगाड़ में ही सुबह से शाम कब हो जाती है इनको पता ही नहीं चलता है। छप्पर की झोपड़ी में परिवार सहित जिंदगी बसर करने वाले दूबेपुर विकास खंड के दिखौली गांव के मुसहर जाति के दर्जन भर परिवाराें की यही कहानी है। समाज की मुख्यधारा से इन लोगों के सामाजिक जीवन स्तर को सुधारने के लिए ब्लॉक के जिम्मेदार लोगों की पहल रंग लाई। खंड विकास अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने गांव का दौरा किया। इस गांव में मुसहर जाति के 14 परिवारों में कुल 80 लोग रहते हैं। इस पुरवे में काेई सुविधाएं नहीं थी। इनका जीवन स्तर निम्न होने से इन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता था। जिम्मेदारों ने पहल शुरू की। उनके स्वालंबन की राह को आसान बनाने और इन्हें घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो, इस पर काम शुरू किया गया। ग्राम प्रधान राजेश सिंह से मिलकर समस्त शासकीय योजनाओं के माध्यम से सुधार का काम शुरू हुआ। बकरी पालन के लिए 14 सेड बकरी पालन के लिए 55-55 हजार रुपये की लागत से सभी परिवारों के मुखिया के लिए 14 गोट सेड बनवाए गए। अब इनकी बकरियां इसी सेड में सुरक्षित रहती हैं। पशुपालन विभाग से अतिरिक्त बकरियां उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जा रहा है। श्री गुप्ता ने बताया कि इनके घर के पास ही वर्क शेड बनवाया जा रहा है। महिलाओं को स्वयं सहायता से जोड़ जाएगा। इस सेड में बैठकर महिलाएं पॉलीथिन से मुक्ति दिलाने लिए दोना पत्तल बनाने का काम करेगी। हर परिवार को घर व शौचालय सभी परिवारों को मुख्यमंत्री आवास व शौचालय देने के साथ-साथ पानी की निकासी व्यवस्था भी की गई है। पेयजल सुविधा के लिए हैंडपंप लगवाए गए। विद्यालय से बंचित बच्चों को विद्यालय जोड़ने की कोशिश शुरू की गई। खुले में शौच जाने व व्यवस्थित घर न होने के कारण बदहाल जिंदगी जी रहे थे। हिन्दुस्थान समाचार/दयाशंकर/दीपक-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in