श्रीराम मंदिर आन्दोलन में अग्रणी रहे अशोक सिंघल को नमन कर दी श्रद्धांजलि
श्रीराम मंदिर आन्दोलन में अग्रणी रहे अशोक सिंघल को नमन कर दी श्रद्धांजलि

श्रीराम मंदिर आन्दोलन में अग्रणी रहे अशोक सिंघल को नमन कर दी श्रद्धांजलि

श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन ने बदली देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा मीरजापुर, 17 नवम्बर (हि.स.)। स्वयं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक प्रचारक मानने वाले, श्रीराम जन्म भूमि आन्दोलन के दौरान जिसकी ललकार से रामभक्त हर्षित हो जाते थे, ऐसे अशोक सिंघल की पूण्यतिथि पर उन्हें नमन किया गया। नगर के इमलहानाथ मंदिर स्थित आरएसएस कार्यालय पर मंगलवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य व विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व संगठन मंत्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने हिन्दू समाज को संगठित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। और एक स्तर तक अपने उद्देश्य में सफल भी रहे। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, इसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी संगठन और नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम था कि छह दिसम्बर, 1992 को राष्ट्रीय कलंक के प्रतीक बाबरी ढांचे को गिरा दिया गया। गौरतलब है कि स्व.श्री सिंघल 1950 में आरएसएस के प्रचारक बने। 1981 में उन्हें विश्व हिन्दू परिषद की जिम्मेदारी दे दी गयी। एकात्मता रथ यात्रा, संस्कृति रक्षा निधि, रामजानकी रथयात्रा, रामशिला पूजन, रामज्योति आदि कार्यक्रमों से परिषद का नाम सर्वत्र फैल गया। अब परिषद के काम में बजरंग दल, परावर्तन, गाय, गंगा, सेवा, संस्कृत, एकल विद्यालय आदि कई नये आयाम जोड़े गये। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन ने तो देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा ही बदल दी। वे परिषद के 1982 से 86 तक संयुक्त महामंत्री, 1995 तक महामंत्री, 2005 तक कार्याध्यक्ष, 2011 तक अध्यक्ष और फिर संरक्षक रहे। 27 सितम्बर 1962 में आगरा में जन्में श्रीसिंघल काफी समय से फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित थे। इसी के चलते 17 नवम्बर, 2015 को उनका निधन हुआ। इस दौरान उपस्थित कार्यकताओंं ने उन्हेंं नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/राजेश-hindusthansamachar.in

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