वायु प्रदूषण के खिलाफ कांग्रेस भी मुखर,इच्छा शक्ति और ठोस रणनिति पर जोर
वायु प्रदूषण के खिलाफ कांग्रेस भी मुखर,इच्छा शक्ति और ठोस रणनिति पर जोर

वायु प्रदूषण के खिलाफ कांग्रेस भी मुखर,इच्छा शक्ति और ठोस रणनिति पर जोर

— पराली जलाने के नाम पर किसानों के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमे पर नाराजगी वाराणसी,06 नवम्बर (हि.स.)। वाराणसी सहित पूरे प्रदेश में बढ़ रहे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को लेकर कांग्रेस और पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउन्डेशन मुखर है। फाउंडेशन ने पराली जलाने के नाम पर किसानों के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमे पर नाराजगी जाहिर की है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष विजय शंकर पान्डेय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार उपाध्याय, वाराणसी के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, सूचना अधिकार प्रकोष्ठ के पूर्व चेयरमैन बैजनाथ सिंह , छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह ने संयुक्त् रूप से कहा कि सरकार की इच्छा शक्ति एवं ठोस नीति न होने से हवा में घुलता जहर (वायु प्रदूषण) लोगों के स्वास्थ्य के लिये जानलेवा बनता जा रहा है । नेताओं ने कहा कि प्रदूषण के चलते हवा में घुलता जहर अब कमोबेश सभी शहरों को अपने चपेट में लेता जा रहा है। जिससे कई घातक बीमारियां देश में पांव पसारती जा रही हैं , परन्तु सरकार को इस समस्या के प्रति जितना गम्भीर होना चाहिये उतना वो होती नहीं दिखती । कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि केन्द्र और राज्यों की सरकारों,नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बीच कोई तालमेल नहीं है। चाहे वो किसानों का खेतों में अपना कृषि अवशेष जलाने का मामला हो , चाहे त्यौहारों सहित शादी विवाह में की जाने वाली भयानक आतिशबाजी का मामला हो। किसी पर सरकार की स्पष्ट नीति नही है। पूर्व जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने कहा कि किसानों की आय दुगुनी करने की बात करने वाली सरकार ने किसानों को अब तक पराली जलाने से रोकने का कोई विकल्प ही नही दिया। अब समस्या यह है कि यदि किसान अपने खेतों के कृषि अवशेष न जलायें तो वो अगली फसल की बुवाई आखिर कैसे करेगा । वहीं,अलग— अलग तरीके जैसे आतिशबाजी और कार्बन उत्सर्जन से उत्पन्न प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और ठोस नीति बनाने में भी सरकार की कोई रुचि नहीं दिखती । हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित-hindusthansamachar.in

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