लोकतंत्र-में-किसी-दल-या-व्यक्ति-के-राज-की-तो-कल्पना-भी-नहीं-की-जा-सकती
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लोकतंत्र में किसी दल या व्यक्ति के राज की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती

सियाराम पांडेय ‘शांत’ देश सबका है। राष्ट्रपति और राज्यपाल सबका होता है। संविधान सबका है। सर्वोच्च न्यायालय और न्यायालय सबके हैं। सरकारें तो जनता की प्रतिनिधि मात्र हैं। उनके काम का, काम करने का तरीके का स्तर अच्छा या बुरा हो सकता है लेकिन लोकतंत्र में किसी दल या व्यक्ति क्लिक »-24ghanteonline.com

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