राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ज्ञान एवं कौशल भारतीय परंपरा के मूर्त चिंतन का दस्तावेज : डॉ ममता
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ज्ञान एवं कौशल भारतीय परंपरा के मूर्त चिंतन का दस्तावेज : डॉ ममता

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ज्ञान एवं कौशल भारतीय परंपरा के मूर्त चिंतन का दस्तावेज : डॉ ममता

- मातृभाषा को उचित स्थान न मिलने से भारतीय भाषाओं का स्तर गिरा प्रयागराज, 14 अक्टूबर (हि.स.)। किसी भाषा से द्वेष नहीं होना चाहिए, लेकिन मातृभाषा का विशिष्ट स्थान होना चाहिए। मातृभाषा को उचित स्थान न मिलने के कारण ही भारतीय भाषाओं का स्तर गिर गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ज्ञान एवं कौशल भारतीय परम्परा के मूर्त चिन्तन का दस्तावेज है। उक्त विचार मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. ममता त्रिपाठी ने विद्या भारती काशी प्रांत के ‘माई नेप’ अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ऑनलाइन व्याख्यान के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने ज्ञान एवं कौशल संयोजन के भारतीय परंपरा के अनुसरण करने पर बल दिया। सभी शिक्षाविदों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को इस शिक्षा नीति को जन-जन के बीच ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा में शोध एवं अनुसंधान के स्तर को बढ़ाने एवं लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग की व्याख्या भी इस शिक्षा नीति में प्रस्तावित है। माई नेप के प्रांत संयोजक डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह ने सभी प्रतिभागियों एवं वक्ता का स्वागत करते हुए बताया कि अगला व्याख्यान शनिवार दोपहर 11 बजे, हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के सौरभ सिंह का होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर बी.एन सिंह ने किया। व्याख्यान के समन्वयक डॉ. प्रचेतस ने अतिथियों का परिचय दिया एवं डॉ. राधेश्याम राम ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्या भारती के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. रामजी सिंह, सह संयोजक डॉ. विनम्र सेन एवं काशी प्रांत के सभी जिलों के विद्यालयों के प्रधानाचार्य, विद्यार्थी, विद्या भारती के पदाधिकारियों ने भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित-hindusthansamachar.in

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