राष्ट्रीय कानून दिवस (26 नवम्बर) पर विशेष : अधिकार के साथ कर्तव्य के प्रति जवाबदेह बनने की है जरूरत
राष्ट्रीय कानून दिवस (26 नवम्बर) पर विशेष : अधिकार के साथ कर्तव्य के प्रति जवाबदेह बनने की है जरूरत

राष्ट्रीय कानून दिवस (26 नवम्बर) पर विशेष : अधिकार के साथ कर्तव्य के प्रति जवाबदेह बनने की है जरूरत

-संविधान के जानकारों ने रखी अपनी बात, कर्तव्य निर्वहन पर दिया जोर लखनऊ, 25 नवम्बर (हि.स.)। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत किया गया था। कुछ अनुच्छेद उसी दिन से प्रभावी हो गये थे। इसी कारण 26 नवम्बर को हर वर्ष कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान विद्द व कुछ सरकारी कार्यालयों में अपने अधिकारों की बात तो लोग कर लेते हैं लेकिन कर्तव्यों पर ध्यान नहीं देते। कुछ संविधान विद्दों के अनुसार किसी भी देश की प्रगति के लिए अधिकार की तरह ही कर्तव्यों का पालन करना भी जरूरी होता है लेकिन भारत में कर्तव्य पालन को व्यक्ति के इच्छा के ऊपर छोड़ दिया गया। इस कारण लोग इसके प्रति लापरवाह हो गये। इस संबंध में प्रयागराज के संविधान विद्द रविन्द्र राय का कहना है कि अनुच्छेद 51 (ए) के तहत 11 मौलिक कर्तव्य दिये गये हैं लेकिन रामचरित मानस की चौपाई है “भय बिनु होहीं न प्रिति”। यह आज भी हर व्यक्ति पर लागू होती है और मूलभूत कर्तव्यों के साथ उसका पालन न करने पर कोई दंड की व्यवस्था नहीं की गयी। इसी कारण आज लोग अधिकारों की तो हर समय बात करते हैं लेकिन अपना कर्तव्य भूल जाते हैं। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में बताया कि संविधान निर्माताओं ने यही अपेक्षा की थी कि अधिकार देने के बाद लोग स्व स्फूर्त अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीप्रकाश का कहना है कि मूल कर्तव्यों का पालन न करने पर भी कठोर दंड का प्राविधान होना चाहिए। हर व्यक्ति का अपने राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन करना परम कर्तव्य है और यदि वह पालन नहीं करता है तो राष्ट्रद्रोही की श्रेणी में आता है। उसके अधिकारों का कोई औचित्य नहीं बनता लेकिन राजनीति के कारण आज तक ऐसा नहीं किया जा सका और न ही भविष्य में ऐसी कोई उम्मीद दिखती है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनिवास संत का कहना है कि हमें जितना अधिकारों पर गर्व है, उतना ही अपने कर्तव्यों के पालन के प्रति भी सजग होना जरूरी है। यह एक चेतना की बात है। पहले की अपेक्षा लोगों में जागरुकता जरूर आई है लेकिन इसको और जगाने की जरूरत है। जब सभी एक दूसरे को प्रेरित करेंगे तो स्वत: ही हर व्यक्ति अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हो जाएगा। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि आज स्वच्छता के प्रति लोग काफी सचेत हुए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/दीपक-hindusthansamachar.in

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