मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में दावा की मियाद हुई तीन साल
मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में दावा की मियाद हुई तीन साल

मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में दावा की मियाद हुई तीन साल

बीमा कंपनी को तीन साल के भीतर दाखिल बीमा दावों पर विचार करने का निर्देश प्रयागराज, 12 नवम्बर (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में दावा दाखिल करने की अधिकतम तीन माह की मियाद को मनमानापूर्ण एवं कानून के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है। वहीं बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि प्रदेश में जितने भी दावे तीन साल के भीतर दाखिल किये गये हैं, उन्हें समय से दाखिल मानकर गुणदोष के आधार पर तय करे। कोर्ट ने कहा है कि दावा करने की तीन साल की मियाद किसान की मौत या दावा आंशिक या पूर्णरूप से निरस्त होने की तिथि से मानी जायेगी। बीमा कंपनी द्वारा दावा निरस्त करने के खिलाफ सिविल वाद दायर करने की मियाद तीन साल है। ऐसे में कल्याणकारी राज्य की सामाजिक लाभ देने की योजना के लिए दावा करने की अवधि को सीमित करना योजना को विफल करना है। जो मनमानापूर्ण एवं अतार्किक है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश की प्रति इस आशय से भेजने का निर्देश दिया है कि सरकार योजना मियाद मे संशोधन कर सके। कोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर को याची के बीमा दावे को समय के भीतर मानते हुए तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने गौतम यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मालूम हो कि याची के किसान पिता की 3 जुलाई 18 को दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। याची ने योजना के तहत 20 अक्टूबर 18 को दावा किया। जिसे जिलाधिकारी जौनपुर ने कालबाधित करार देते हुए निरस्त कर दिया। जिसे चुनौती दी गई थी। बीमा कंपनी का कहना था कि दावा करने की मियाद दो माह है। जिलाधिकारी को एक माह की अवधि बढाने का अधिकार है। इसलिए दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि गरीब किसानों को लाभ देने की कल्याणकारी राज्य की योजना है। सरकार व बीमा कंपनी के बीच करार होता है। सरकार प्रीमियम देती है। भारतीय समाज मे मृत्यु संस्कार में समय लगता है। ऐसे में तीन माह की अवधि योजना को विफल करने वाली और कानून के विपरीत है। बीमा कंपनी के दावा निरस्त करने के खिलाफ सिविल वाद दायर करने की मियाद तीन साल है। यह कानून बीमा कंपनी सहित सभी पर लागू है। सरकारी नीति भी कानून के विपरीत नहीं बनायी जा सकती। इसलिए तीन साल की अवधि के भीतर दाखिल सभी दावों पर विचार किया जाए। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/संजय-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in