मुकदमे की सही विवेचना अथवा मुकदमा दर्ज कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका उचित फोरम नहीं : हाईकोर्ट
मुकदमे की सही विवेचना अथवा मुकदमा दर्ज कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका उचित फोरम नहीं : हाईकोर्ट

मुकदमे की सही विवेचना अथवा मुकदमा दर्ज कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका उचित फोरम नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 18 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राथमिकी दर्ज कराने या दर्ज प्राथमिकी की निष्पक्ष विवेचना करने का आदेश देने की मांग के लिए अनुच्छेद 226 में याचिका दाखिल करना उचित फोरम नहीं है। इसके लिए उचित फोरम है मजिस्ट्रेट न्यायालय जहां पीड़ित व्यक्ति सीआपीसी की धारा 156(3) के तहत याचिका दाखिल कर सकता है। कोर्ट ने कहा है कि यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष ऐसी अर्जी दाखिल की जाती है तो प्रथम दृष्टया संतुष्ट होने पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं। न्यायिक मजिस्ट्रेट को यह भी सुनिश्चिचत करने का अधिकार है कि प्राथमिकी जांच निष्पक्ष रूप से हो। आगरा के अभिषेक कुमार मिश्र और चार अन्य की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने दिया है। पीठ ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा सकीरी वसु केस में दिए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि यदि हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज करने और मुकदमों में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर याचिकाएं दाखिल होती रही तो हाईकोर्ट इन याचिकाओं की सुनवाई के अलावा कोई दूसरा काम नहीं कर पाएगा। इससे उच्च न्यायालयों पर याचिकाओं का अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। कोर्ट ने याची को मजिस्ट्रेट न्यायालय में अर्जी पेश कर अपनी बात रखने का निर्देश दिया है। याची का कहना था कि उसने आगरा के हरिपर्वत थाने में धोखाधड़ी और जान से मारने की धमकी देने आदि धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई है। 28 सितंबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद इसकी निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है। उसने अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया था मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। कोर्ट ने याची को मजिस्ट्रेट न्यायालय में अर्जी दाखिल करने के लिए कहा है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/राजेश-hindusthansamachar.in

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