मीरजापुर : अमेरिकी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसानों ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिशाल
मीरजापुर : अमेरिकी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसानों ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिशाल

मीरजापुर : अमेरिकी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसानों ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिशाल

-आय में वृद्धि के साथ ही शुगर व हार्ट के मरीजों की सुधरेगी सेहत -मात्र 18 महीने में फल देने लगता है पौधा, जून से दिसंबर तक आते हैं फल मीरजापुर, 01 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र वोकल फार लोकल की तर्ज पर विदेशों में उत्पादित होने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती कर जिले के किसानों ने आत्मनिर्भर बनने की एक अनूठी मिशाल पेश की है। अमेरिकी मूल के फल ड्रैगन फ्रूट में पोषक तत्वों की भरमार है। भारत में भी इसकी खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसे पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है। ऊपर से काफी ऊबड़-खाबड़ सा दिखने वाला यह फल अंदर से काफी मुलायम और टेस्टी होता है। इसका स्वाद तरबूज और किवी फलों के समान ही होता है। जिले के किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती कर न केवल अपनी आय में वृद्धि करेंगे बल्कि ब्लड शुगर और हार्ट के मरीजों की दिक्कतों को भी दूर कर सकेंगे। मूलतः दक्षिणी अमेरिका में पाया जाने वाला यह फल अब जिले में किसानों के खेतों और बागों में उगाया जाने लगा है। जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि सिटी ब्लाक, राजगढ़ व पहाड़ी ब्लाक के कुल 50 किसानों ने 50 से चार सौ पौधों का रोपण किया है। अब इसके फल आने लगे हैं। जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती 2018 से शुरू की गई थी। उद्यान विभाग कौशांबी से 50 से 60 रुपये में पौधे मंगाकर उसी मूल्य पर किसानों को मुहैया कराता है। इस फल की खासियत यह है कि रक्त में प्लाजमा को बढ़ाता है। उद्यान अधिकारी के अनुसार यह एक आधुनिक खेती है। मीरजापुर की जलवायु ड्रैगन फ्रूट के लिए बहुत ही उपयुक्त है। बाजार में ड्रैगन फ्रूट के एक फल की कीमत सौ रुपये होती है। यह दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसकी खेती करने के लिए किसान को खेत में पिलर बनवाना पड़ता है। इसका पौधा नागफनी की तरह कंटीला और नाजुक होता है। इसे पिलर के सहारे खड़ा करना पड़ता है। यही नहीं यह मात्र 18 महीने में फल देने लगता है। फल जून से दिसंबर माह तक आते हैं। प्रति पिलर दस से 12 फल लगते हैं। पौधों को पोषक तत्व के तौर पर गोबर की खाद दी जाती है। साथ ही सिंचाई के लिए पानी काफी कम लगता है। इसका फल तरबूज की तरह होता है। काटने पर अंदर सफेद और काले रंग का बीज होता है। तरबूज की तरह इसे लोग खाते हैं। ड्रैगन फ्रूट से मजबूत होगी इम्युनिटी, रूकेगा बुढ़ापा ड्रैगन फ्रूट सिर्फ एक फल नहीं है बल्कि मनुष्य जीवन के कई रोगों की दवा भी है। गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसे खाने से मनुष्य के कई बीमारी ठीक हो जाते हैं। यह प्रमुख रूप से मधुमेह, हृदय संबंधित रोग, चर्म रोग आदि के लिए कारगर है। मोटापा दूर करने में भी ये फल बहुत सहायक है। ड्रैगन फ्रूट में एंटी आक्सीडेंट्स, फाइबर्स और विटमिन सी पाया जाता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डा. एसएन सिंह की मानें तो ब्लड शुगर और हार्ट रोगियों के लिए ही नहीं ड्रैंगन फ्रूट इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार है। यह त्वचा के लिए काफी लाभदायक है। साथ ही बुढ़ापा भी रोकता है। एक बार निवेश के बाद 25 वर्षों तक होगी आमदनी सिटी ब्लाक के नुआंव गांव निवासी किसान आशाराम दुबे ने बताया कि इस बार अमेरिकी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। अब फल भी आने लगे हैं। इस फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी हो सकती है। कैक्टस प्रजाति का होने के कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की कम ही जरुरत पड़ती है। इसमें चरने या कीड़ा लगने का जोखिम भी नहीं है। ड्रिप विधि से सिंचाई के चलते इसमें पानी की बहुत बचत होती है। एक एकड़ में होगी पांच लाख रुपये की आय आमदनी के साथ ही आत्मनिर्भर बनने के लिए केवल धान, गेहूं, दलहनी से कुछ नहीं होगा, इस पर किसानों को सोचना होगा। कृषि विकास प्रणाली के अंतर्गत खेती करना होगा।ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जिले की भूमि अनुकूल पाई गई है। इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जल्द ही इसकी मांग दिनों-दिन बढ़ती जाएगी। एक एकड़ में लगभग पांच लाख रुपये का आय किसान अर्जित कर सकता है। यूपी के कई जिलों में होती है ड्रैगन फ्रूट की खेती उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट के खेती की शुरूआत कौशांबी जिले से वर्ष 2015 में की गई थी। इस समय उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, संभल, मुरादाबाद, कौशांबी, सुल्तानपुर के बाद अब मीरजापुर में किसानों ने प्रयोग के तौर पर इसकी खेती शुरु की है। प्रधानमंत्री मोदी ने की थी सराहना 26 जुलाई को मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रेगन फ्रूट का जिक्र किया था और इसकी खेती करने वाले किसानों की सराहना भी की थी। कहा था कि अभी तक सिर्फ बड़े-बड़े होटल के डायनिंग टेबल पर दिखने वाला ड्रेगन फ्रूट अब जल्द ही घर-घर दिखेगा। साथ ही प्रधानमंत्री ने इसकी खेती पर जोर देकर किसानों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर बताया था। बढ़ रही ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता कम लागत व कम जमीन में अधिक उत्पादन होने से ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता बढ़ रही है। अब किसान भी इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं। देश को ड्रेगन फ्रूट का आयात न करना पड़े, यही आत्मनिर्भरता है। ड्रैगन फ्रूट एक ऐसा विदेशी फल है, जो सिर्फ मलेशिया, इण्डोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मेक्सिको, इजराइल, श्रीलंका और सेंट्रल एशिया में पाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती थाईलैंड देश में व्यापक पैमाने में की जाती है। विदेश में ड्रैगन फ्रूट की मांग अधिक है। इस कारण इस फल का कीमत भी अधिक है। पौधे से भी प्रतिवर्ष होगी दो लाख की आमदनी ड्रैगन फ्रूट तीन प्रकार के होते हैं। पहला बाहर लाल-अंदर लाल, दूसरा बाहर लाल-अंदर सफेद, तीसरा बाहर पीला-अंदर सफेद होता है। इसमें बाहर लाल-अंदर लाल फल की कीमत ज्यादा होती है। डाली तोड़कर नए पौधे तैयार किए जाते हैं। पौधों से भी प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपये प्रतिवर्ष आमदनी की जा सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/दीपक-hindusthansamachar.in

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