मिल डे मील बनाने वाले रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का आदेश
मिल डे मील बनाने वाले रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का आदेश

मिल डे मील बनाने वाले रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का आदेश

प्रयागराज, 20 दिसम्बर (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी व अर्द्ध सरकारी प्राइमरी स्कूलों मे मिड-डे-मिल बनाने वाले रसोइयों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के ऐसे सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मिड-डे-मील रसोइयों को एक हजार रूपये वेतन देना बंधुआ मजदूरी है। जिसे संविधान के अनुच्छेद 23 में प्रतिबंधित किया गया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक नागरिक के मूल अधिकार का हनन होने पर कोर्ट में आने का अधिकार है। वही सरकार का भी संवैधानिक दायित्व है कि किसी के मूल अधिकार का हनन न होने पाये। सरकार न्यूनतम वेतन से कम वेतन नहीं दे सकती। कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मिड-डे-मील बनाने वाले प्रदेश के सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित करे। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को इस आदेश पर अमल करते हुए सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। और केन्द्र व राज्य सरकार को चार माह के भीतर न्यूनतम वेतन तय कर 2005 से अब तक सभी रसोइयों को वेतन अंतर के बकाये का निर्धारण करने का आदेश दिया है। यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने बेसिक प्राइमरी स्कूल पिनसार बस्ती की मिड डे मील रसोइया चंद्रावती देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को 1अगस्त 19 को हटा दिया गया था। जिसे चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि उसने एक हजार रूपये मासिक वेतन पर पिछले 14 साल सेवा की है।अब नये शासनादेश से स्कूल मे जिसके बच्चे पढ़ रहे हो उसे रसोइया नियुक्ति में वरीयता देने का नियम लागू किया गया है। याची का कोई बच्चा प्राइमरी स्कूल में पढ़ने लायक नहीं है। उसे हटाकर दूसरे को रखा जा रहा है। अब वेतन भी 1500 रूपये कर दिया गया है। वह खाना बनाने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पावरफुल नियोजक के विरूद्ध कानूनी लडाई नहीं लड़ सकता और न ही वह बारगेनिंग की स्थिति में होता है। कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 23, बंधुआ मजदूरी को प्रतिबंधित करता है। एक हजार वेतन बंधुआ मजदूरी ही है। याची 14 साल से शोषण सहने को मजबूर है। सरकार ने अपनी स्थिति का दुरूपयोग किया है। न्यूनतम वेतन से कम वेतन देना मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए आदेश की प्रति मुख्य सचिव व सभी जिलाधिकारियों को भेजे जाने का निर्देश दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/राजेश-hindusthansamachar.in

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