मासांहार कैंसर, उदर व पेट रोग को देता बढ़ावा, शाकाहार है संतुलित पोषक
मासांहार कैंसर, उदर व पेट रोग को देता बढ़ावा, शाकाहार है संतुलित पोषक

मासांहार कैंसर, उदर व पेट रोग को देता बढ़ावा, शाकाहार है संतुलित पोषक

-विश्व मांसाहार निषेध दिवस (25 नवम्बर) पर विशेष -धर्मग्रंथ, आयुर्वेद देता है शाकाहार पर जोर, मांसाहार से मन भी होता है दूषित -कोरोना काल में आयुर्वेद को मिला ज्यादा बढ़ावा,लोगों ने मांसाहार से किया किनारा लखनऊ, 24 नवम्बर (हि.स.)। धर्मशास्त्र हो या आयुर्वेद कोई भी मांसाहार को मनुष्य के लिए उपयुक्त भोजन नहीं मानता। महर्षि दयानंद सरस्वती ने कहा है कि मांसाहार से मनुष्य का स्वभाव हिंसक हो जाता है, जो लोग मांस भक्षण या मदिरापान करते हैं, उनके शरीर तथा विर्यादि धातु भी दूषित हो जाते हैं। बौद्ध धर्म में पंचशील का संदेश देकर बुद्ध ने मांसाहार से दूर रहने की सलाह दी। आयुर्वेद ने भी माना है कि मासांहार दिल की बीमारी, कैंसर, उदर रोग, कोलाइटिस आदि रोगों का एक कारण है। इससे लोगों की आयु कम हो रही है। शायद यही कारण है कि 25 नवम्बर को पूरी दुनिया मासांहार निषेध दिवस के रूप में मनाता है। इस संबंध में बीएचयू के पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेपी सिंह का कहना है कि वास्तविक रूप से मनुष्य का शरीर मांस के पाचन के लिए बना ही नहीं है। मांसाहार से कुछ पोषक तत्व जरूर मिलते हैं। लेकिन, उससे ज्यादा उससे हानि के कारक तत्व भी मौजूद होते हैं। पोषक तत्व भी मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार में ज्यादा संतुलित मिलते हैं। शाकाहार में सहजन में जितने पोषक तत्व हैं, उतने किसी भी मासांहार में नहीं मिल सकते। डॉ. जेपी सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में बताया कि मांसाहार कैंसर आदि असाध्य रोगों को देकर आयु को क्षीण करता है और शाकाहार अधिक पौष्टिकता व रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ समय पहले तक मांसाहार ज्यादा बढ़ रहा था। लेकिन, कोरोना काल ने लोगों को संयमित रहना सीखा दिया। इससे लोग शाकाहार की तरफ उन्मुख हुए हैं। बहुत लोग ऐसे हैं, जो पहले मासांहारी थे और कोरोना काल के बाद शाकाहारी हो गये हैं। वहीं हृदय एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल शाही का कहना है कि मासांहार से पोषक तत्व तो जरूर मिलते हैं। लेकिन, ब्लड प्रेशर, हार्ट, लीवर आदि को नुकसान भी पहुंचाता है। यह तामसिक भोजन में आता है। इससे लोगों को कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। वहीं प्रयागराज के आयुर्वेदाचार्य डॉ. एसके राय ने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि आज कल लीवर, आंत व पेट से संबंधित ज्यादा दिक्कत आने का कारण मासांहार ही है। डॉ. एसके राय ने कहा कि मेरा अनुभव है कि जो लोग मांस का जरूरत से ज्यादा सेवन करते हैं, उनको उदर की गंभीर बीमारियां हो रही हैं। एक तो गोश्तखोरी बहुत वैज्ञानिक नहीं है। दूसरे इस समय मांस भी गुणवत्ता में भी अच्छा नहीं है। अब हालात पूरी तरह से विपरीत हैं। हर तरह का प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। जानवर भी जो भोजन कर रहे हैं, जिस तरह से उनको पाला जा रहा है, वह बहुत नुकसान पहुंचाने वाला है। मांस में बहुत अधिक रासायनिक तत्व मौजूद हैं। केमिकल युक्त मांस तो सेहत के लिए खतरनाक है। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. महेन्द्र पांडेय कहते हैं कि चारा, जल व हर तरफ प्रदूषण का बोलबाला है। कुछ दशकों पहले जानवरों को मारने से पहले बहुत तव्वजो मिलती थी, लेकिन अब तो बस उनका वजन बढ़ाया जाता है। इसलिए ऐसे जानवरों का मांस सेहत के लिए किसी विष से कम नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय-hindusthansamachar.in

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