महाअष्टमी पर विंध्यधाम में झुके लाखों शीश, आस्था के रंग में रंगा विंध्यधाम
महाअष्टमी पर विंध्यधाम में झुके लाखों शीश, आस्था के रंग में रंगा विंध्यधाम

महाअष्टमी पर विंध्यधाम में झुके लाखों शीश, आस्था के रंग में रंगा विंध्यधाम

- मंत्रोच्चारण से गूंज उठा विंध्य पर्वत, घर-घर कन्या पूजन कर की गई मां की आराधना मीरजापुर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र के महाअष्टमी के दिन शनिवार को विंध्य दरबार में लाखों श्रद्धालुओं ने शीश झुकाया और मां विंध्यवासिनी के महागौरी स्वरूप का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना की। मध्य रात्रि से ही मंदिर पर भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर के आसपास की गलियां भक्तों से पटी रहीं। भीड़ का आलम यह था कि मंदिर व उसके आसपास प्रशासन की तमाम तैयारियां धरी की धरी रह गई। भक्त घंटों लाइन में लगे रहने के बाद मां के गर्भगृह तक पहुंच पा रहे थे। वहीं शहर के दिरोंअन्य मं में भी खासी भीड़ थी। नवरात्र में अष्टमी का एक अलग ही महत्व है। इस दिन विंध्य दरबार में भक्तों की अधिक भीड़ रहती है। हर भक्त मां की एक झलक पाने के लिए सभी कष्टों से गुजरने को तैयार रहते हैं। कहते हैं कि अष्टमी के दिन मां के दर्शन करने से सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तरह-तरह के फूलों व स्वर्ण आभूषणों से माता का किया गया भव्य श्रृंगार का दर्शन पाकर श्रद्घालु भाव विह्वल हो उठे। महाअष्टमी पर जगत कल्याणी मां विंध्यवासिनी धाम में आस्थावानों का रेला लगा रहा। मंगला आरती के बाद से शुरू हुआ दर्शन-पूजन का दौर अनवरत चलता रहा। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने अष्टभुजा व काली माता का पूजन-अर्चन कर त्रिकोण परिक्रमा की। त्रिकोण परिक्रमा के लिए पूरी रात भक्तों का तांता लगा रहा। गंगा घाटों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ जुटी रही। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने विंध्य पर्वत पर विचरण कर रहे लंगूरों व बंदरों को चना-गुड़ आदि खिलाया। वहीं नर-नारियों ने मंदिर परिसर पर चुनरी व रक्षा बांधकर मन्नतें मांगी। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस व पीएसी जवान मुस्तैद रहे। महाअष्टमी पर धार्मिक आयोजनों की रही धूम शारदीय नवरात्र के नौ दिन तक मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। महाअष्टमी पर जहां जगह-जगह विधि-विधान पूर्वक नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है। वहीं भक्त नौ दिन तक व्रत रख मां की आराधना किए। शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्र के अष्टमी व नवमी तिथि शनिवार को मनाई गई। जगह-जगह कन्या पूजन किया गया। ऐसे में शहर में दिनभर धार्मिक आयोजनों की धूम रही। भक्तों ने पग-पग में नाप दी विंध्यधाम की दूरी चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, मैं बालक तू माता शेरावालिए जैसे भजनों को गाते हुए शुक्रवार की रात भक्तों का रेला मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए पैदल ही निकल पड़ा। इसमें वाराणसी, कछवां, जमुआ व अन्य स्थानों के भक्त शामिल थे। बच्चे-बड़े, महिलाएं व पुरुष हर कोई भक्ति-भाव से ओत-प्रोत होकर माता के दर्शन व पूजन के लिए पैदल चलकर विंध्यधाम पहुंचे। मध्यरात्रि में मां कालरात्रि व मां महागौरी का पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की। भक्तों ने माथा पर फीता बांधकर माता का नाम जपते हुए रास्ता तय किया। हालांकि इस बार पैदल विंध्यधाम पहुंचने वाले भक्तों की संख्या काफी कम रही। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/उपेन्द्र/मोहित-hindusthansamachar.in

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