भूतपूर्व सैनिक सेवा में रहते सिविल पदों पर आवेदन कर सकता है? : हाईकोर्ट
भूतपूर्व सैनिक सेवा में रहते सिविल पदों पर आवेदन कर सकता है? : हाईकोर्ट

भूतपूर्व सैनिक सेवा में रहते सिविल पदों पर आवेदन कर सकता है? : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 19 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि क्या भूतपूर्व सैनिक सेवा में रहते हुए सिविल पदों के आवेदन कर सकता है। इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार के क्या निर्देश हैं। कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय भारत सरकार और निदेशक पुनर्वास के साथ ही राज्य सरकार को भी इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। सुधीर सिंह व दो अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण ने एक्स सर्विस मैन कोटे के तहत ग्राम विकास अधिकारी के पद हेतु 2016 में आवेदन किया था। परीक्षा में सफल होने के बाद उनको नियुक्ति मिल गई और उन्होंने फरवरी 2019 में ज्वाइन कर लिया। इसके बाद कमिश्नर ने एक आदेश जारी कर कहा कि याचीगण को सुनवाई का मौका देते हुए पद से बर्खास्त कर दिया जाए। मई 2019 में याचीगण को सेवा से यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि ग्राम विकास अधिकारी के पद हेतु आवेदन की अंतिम तिथि पांच अक्टूबर 2016 को वह सेना में कार्यरत था। बिना सेवानिवृत्त हुए उन्होंने आवेदन किया इसलिए उनकी नियुक्ति अवैध है। अधिवक्ता का कहना था कि सेना के ऐसे कई आदेश हैं जिनके अनुसार सैन्य कर्मी सेवानिवृत होने से एक वर्ष पूर्व सिविल पदों के लिए आवेदन कर सकता है। राज्य सरकार का कहना था कि सेना के नियम और आदेश राज्य सरकार पर लागू नहीं होंगे। याची की ओर से यह भी दलील दी गई कि राज्य सरकार के कुछ विभाग सेवानिवृत्ति से एक वर्ष पूर्व का आवेदन स्वीकार करते हैं। जबकि कुछ विभाग इसे नहीं मानते हैं। कोर्ट ने केंद्र और राज्य को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए कहा कि राज्य सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक्स सर्विस मैन को यह लाभ इसलिए भी दिया जाता है कि वह समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें। भूतपूर्व सैनिक सेना के कड़े अनुशासन में प्रशिक्षित होते हैं। राज्य सरकार उनकी सेवाओं का लाभ ले सकती है। वह राष्ट्रीय गौरव हैं। मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/संजय-hindusthansamachar.in

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