भागवत समझने के लिये समाधि की जरुरत : डॉ माधव
भागवत समझने के लिये समाधि की जरुरत : डॉ माधव

भागवत समझने के लिये समाधि की जरुरत : डॉ माधव

वाराणसी, 08 अगस्त (हि.स.)। भागवत समझने के लिये समाधि की जरुरत होती है। इसलिये इसे समाधि की भाषा कहा जाता है। यह बातें डॉ. माधव जनार्दन रटाटे ने शनिवार शाम सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के ज्ञानचर्चा “भागवतामृतम“ को वर्चुअल सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हर भागवत में अनेक प्रकार के गीत, निति और मन्त्र निहित हैं जो की उपदेश स्वरुप है। इस महाशास्त्र (भागवत) का प्रारम्भ और पूर्णता गायत्री मन्त्र से है। उन्होंने कहा समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। चिकित्सक भी अन्तिम समय में भगवान के भरोसे रह जाते हैं। अहंकार छोड़कर सब ईश्वर के अधीन हो जाता है। जिस प्रकार दर्पण मे बिम्ब-प्रतिबिम्ब का सम्बंध है, उसी प्रकार से ईश्वर और मनुष्य का सम्बंध है। उन्होंने कहा कि परिवार भी गम्भीर बीमारी में साथ छोड़ देता है। किन्तु ईश्वर हर परिस्थिति मे साथ देते हैं। समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले। मन संकल्प विकलात्मक है। अतः प्रतिदिन मन का मंथन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि शास्त्र के जो वचन हैं वह भगवान के ही वचन हैं। दास्य भक्ति के लिये हनुमान जी का नाम प्रसिद्ध है। अध्यक्षता कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने किया। कार्यक्रम में प्रो.महेंद्र नाथ, प्रो.हरिप्रसाद, प्रो.अमित कुमार शुक्ल आदि की भागीदारी रही। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in