ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय सभ्यता-संस्कृति को धूमिल करने का किया प्रयास: प्रो पुंडीर
ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय सभ्यता-संस्कृति को धूमिल करने का किया प्रयास: प्रो पुंडीर

ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय सभ्यता-संस्कृति को धूमिल करने का किया प्रयास: प्रो पुंडीर

प्रयागराज, 21 नवम्बर (हि.स.)। ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारत में अपने शासन को अच्छा बताने के लिए यहां की सभ्यता-संस्कृति को धूमिल करने का प्रयास किया। लेकिन, कुछ औपनिवेशिक इतिहासकारों ने भारत की गरिमा का गुणगान भी किया। अतः हमें भारत का इतिहास लिखते समय दोनों ही विचारधाराओं का अध्ययन करना चाहिए। यह बात मुख्य वक्ता प्रो.मानवेन्द्र पुंडीर, अलीगढ़ विश्वविद्यालय ने मध्यकालीन इतिहास विभाग, आर्य कन्या पीजी कॉलेज द्वारा ‘औपनिवेशिक इतिहास लेखन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में व्यक्त कही। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरआर तिवारी ने औपनिवेशिक इतिहास लेखन पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हेरोडोट्स से इतिहास लेखन की शुरूआत मानी जा सकती है, जिनके अनुसार तथ्यों के आधार पर इतिहास लेखन होना चाहिए। प्रो. बीके शर्मा, कोटा यूनिवर्सिटी राजस्थान ने इतिहास के पुनर्लेखन पर बल दिया। डॉ. राजेश नाईक, जेपी यूनिवर्सिटी छपरा बिहार ने कहा कि इतिहास बिना संवेदना के घातक है। डॉ. विजय रामदास मण्डला, हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने औपनिवेशिक इतिहास के साथ-साथ राष्ट्रीय इतिहास लेखन तथा प्राच्य इतिहास लेखन पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के अध्यक्ष शासी निकाय पंकज जायसवाल ने अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.रमा सिंह एवं संचालन डॉ.नाजनीन फारूकी तथा डॉ.अर्चना सिंह ने आभार ज्ञापित किया। विभागाध्यक्ष, डॉ.आभा तिवारी ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। आयोजन समिति के सदस्य डॉ.रेनू जैन, डॉ.ममता गुप्ता, डॉ.रंजना त्रिपाठी, डॉ.ज्योति रानी जायसवाल तथा डॉ. दीपशिखा श्रीवास्तव के सहयोग से कार्यक्रम सफल हुआ। इस दौरान डॉ.मधुरिमा वर्मा, डॉ.कल्पना वर्मा, डॉ.सुधा सिंह, डॉ.इभा सिरोठिया, डॉ.नीलांजना जैन, डॉ.चित्रा चौरसिया, डॉ.मुदिता तिवारी, डॉ.अनुपमा सिंह, डॉ.स्मिता तथा शिखा जायसवाल की भागीदारी रही। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/संजय-hindusthansamachar.in

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