ब्रह्मचारिणी बालिकाओं का हुआ उपनयन यज्ञोपवीत जनेऊ संस्कार
ब्रह्मचारिणी बालिकाओं का हुआ उपनयन यज्ञोपवीत जनेऊ संस्कार

ब्रह्मचारिणी बालिकाओं का हुआ उपनयन यज्ञोपवीत जनेऊ संस्कार

विलुप्त हो रही परंपरा को दिया जा रहा साकार रूप कासगंज 20 अगस्त (हि.स.)।गुरुवार को जनपद कासगंज के ग्राम प्रहलादपुर स्थित श्रीमती चंद्रावती कन्या गुरुकुल संस्कृत विद्यापीठ में आयोजित उपनयन यज्ञोपवीत संस्कार समारोह में 11 वृहमचारिणी कन्याओं को मंत्रोच्चारण के साथ जनेऊ धारण कराया गया। माना जाता है कि वैदिक काल के उपरांत इन वैदिक संस्कारों में नर की अपेक्षा नारी को वरीयता मिलना कम होता चला गया। धीरे धीरे नारी के लिए यज्ञोपवीत की यह परंपरा लुप्त हो गई। भारतीय वैदिक संहिताओं/गृह्य सूत्र में सोलह संस्कारों का उल्लेख मिलता है। जिनमें गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमंतोन्नयन संस्कार, जातकर्म, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, उपनयन/यज्ञोपवीत संस्कार, वेदांरभ संस्कार, केशांत संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार व अंत्येष्टि संस्कार उल्लखित हैं। इस वैदिक परंपरा को पुनर्जीवित करने वाली गुरुकुल की संचालिका आचार्या सूर्या चतुर्वेदा व आचार्या धारणा याज्ञकि ने वार्ता के दौरान बताया कि समाज में यह प्रवाद है कि बालिकाएं जनेऊ धारण नहीं कर सकतीं हैं, पर वेदों में कहा गया है कि "यथेमां वाचं कल्याणीमावदानि जनेभ्यः।" इस प्रकार प्रत्येक बालक और बालिका को वेद और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करना समान अधिकार है। फुलस्वरूप इसी उद्देश्य से नारी के व्यक्तिगत रूप को कुल परिवार को समाज को राष्ट्र को उन्नत बनाने के लिए इस गुरुकुल में कन्याओं को वेद शास्त्र और आधुनिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ पुष्पेंद्र/मोहित-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in