बीएचयू और कैंब्रिज विश्वविद्यालय आर्थिक कृषि प्रणाली के सुधार के लिए मिलकर करेंगे काम
बीएचयू और कैंब्रिज विश्वविद्यालय आर्थिक कृषि प्रणाली के सुधार के लिए मिलकर करेंगे काम

बीएचयू और कैंब्रिज विश्वविद्यालय आर्थिक कृषि प्रणाली के सुधार के लिए मिलकर करेंगे काम

- दोनों विश्वविद्यालयों के बीच हुआ समझौता वाराणसी, 07 अक्टूबर (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं कैंब्रिज विश्वविद्यालय (यू० के०) के बीच बुधवार को नवीन सहयोग समझौता किया गया। इंस्टिट्यूट ऑफ इम्मिनेंस कार्यक्रम के तहत बीएचयू कुलपति प्रो० राकेश भटनागर की शैक्षणिक पहल पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय (यू०के०) से 'ट्रांस्फार्मिंग इंडियाज ग्रीन रेवोल्यूशन बाई रिसर्च एंड एम्पावरमेंट फॉर सस्टेनेबल फूड सप्लाइज' नामक नए संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस प्रमुख बहु-विषयक परियोजना में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग बीएचयू के प्रमुख अन्वेषक (भारत) प्रो० रवीन्द्र नाथ सिंह और डॉ० विकास कुमार सिंह, सह-प्रमुख अन्वेषक (भारत) के नेतृत्व में परियोजना के पुरातात्विक आयामों पर कार्य किया जाएगा। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डॉ० कैमरान एंड्रू पेट्री प्रमुख अन्वेषक के रूप में इस परियोजना का नेतृत्व करेंगे। इस अनुसन्धान परियोजना रिसर्च कौंसिल यू० के० तथा ग्लोबल चैलेंजेज रिसर्च फण्ड द्वारा वित्त-पोषित है। इस परियोजना का कार्यकाल 30 सितम्बर 2021 तक है, जिसके अंतर्गत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अनुदान प्राप्त होगा। इस संबंध में प्रो० रवीन्द्र नाथ सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में व्यापक कृषि तथा एकल कृषि-प्रणाली में व्यापक मात्रा में जल दोहन हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में पुरातात्विक पहलुओं या घटकों के आधार पर ही उपयोगी समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुरातात्विक आंकड़े इंगित करते हैं कि प्राचीन काल में विभिन्न फसलों की खेती होती थी, जो मानसून पर आधारित थी, जिससे न केवल सतत कृषि प्रणाली का विकास होता था, अपितु विविधता को भी प्रोत्साहन मिलता था। प्रो. सिंह ने बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक बिन्दुओं को आधार बना कर कृषि-विज्ञान एवं आर्थिक कृषि प्रणाली के व्यापक स्वरूप में सुधार को रेखांकित करना है। जैसा कि हम जानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता के समय से ही व्यापक जल प्रबंधन प्रणाली पुरातत्व दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिससे कृषि कार्यों के लिए भावी पीढ़ी को सीखने की आवश्यकता है, जिससे भारत जल संचय कर समृद्धि की ओर अग्रसर हो सके। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/उपेन्द्र/मोहित-hindusthansamachar.in

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