बलिया : सरकारी वाहन से परिवार को लेकर नहीं चलते आईपीएस डा. विपिन टाडा
बलिया : सरकारी वाहन से परिवार को लेकर नहीं चलते आईपीएस डा. विपिन टाडा

बलिया : सरकारी वाहन से परिवार को लेकर नहीं चलते आईपीएस डा. विपिन टाडा

- मोटरसाइकिल से जनता के बीच पहुंच जाते हैं बलिया के नवागत एसपी बलिया, 09 दिसम्बर (हि. स.)। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा पा चुके आईपीएस अफसर नवागत पुलिस अधीक्षक डा. विपिन टाडा से जिले के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। अपराध नियंत्रण और यातायात व्यवस्था को लेकर नए एसपी ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। एसपी टाडा की कार्यशैली अलग है। वे अपने परिवार के साथ जब भी निकलते हैं तो सरकारी वाहन का प्रयोग नहीं करते। तकरीबन तीन साल पहले रामपुर जनपद में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनाती के दौरान अपनी फिटनेस को लेकर विपिन टाडा ने एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसे लेकर पीएम मोदी ने उनकी तारीफ की थी। इसके बाद डा. विपिन टाडा सुर्खियों में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक के रूप में बलिया आए डा. विपिन टाडा अपराध को लेकर काफी सख्त अफसर माने जाते हैं। जनता से फीडबैक लेने का उनका अंदाज भी काफी रोचक है। किसी भी वक्त साधारण वेश-भूषा में लोगों के बीच जाकर बातचीत करना उन्हें पसंद है। उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्यशैली व पुलिस को क्या करना चाहिए, आम लोगों से सहज तरीके से जानकारी मिल जाती है। एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके डा. टाडा अपने गृह राज्य राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग में बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों की सेवा के दौरान उन्हें लोगों से गहराई से जुड़ने का मौका मिला। वहीं से आमजन के दुख-दर्द को करीब से समझने का मौका मिला। आईपीएस बनने के बाद भी समाज के अंतिम व्यक्ति के प्रति लगाव बना रहा, जो आज भी कायम है। कहा कि आखिरी व्यक्ति तक सुरक्षा पहुंचाना मेरा लक्ष्य है, जिससे लोग निर्भीक होकर अपना जीवन यापन कर सकें। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'मैं अपने निजी कार्यों के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं करता। परिवार के साथ कहीं घूमने-फिरने जाना हो तो निजी वाहन ही इस्तेमाल करता हूं'। पुलिस टीम के लीडर के रूप में अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाने वाले विपिन टाडा किसी सहकर्मी पुलिस वाले की बाइक से भी शहर में निकल जाते हैं। शहर में किसी रोज बाइक से निकले की नहीं, उन्होंने हंस कर इस सवाल को टाल दिया। डाक्टर टाडा ने कहा कि अभी तक लोगों से जो फीडबैक मिला है, उसके अनुसार यहां ट्रैफिक व्यवस्था पर बहुत काम करने की आवश्यकता है। लिहाजा यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाना पहली प्राथमिकता होगी। समाज के हर तबके के लोगों से बात कर ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त किया जाएगा। राजस्थान के जोधपुर के मूल निवासी डा. टाडा ने कहा कि मेरा परिवार खेती-किसानी करता था। मेरे दादा जी किसान थे। हालांकि, मेरे पिता वकालत के लिए शहर में आ गए, जिसके बाद हमारी पढ़ाई शहर में ही हुई लेकिन गांव से नाता बना हुआ है। इसलिए गांव के लोगों का दुख-दर्द समझता हूं। गांव के लोगों को आसानी से न्याय मिले, यही कोशिश रहती है। यही बात मैंने अपने मातहतों को समझा दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/मोहित-hindusthansamachar.in

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