प्रदेश के परिषदीय टीचरों ने राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा व बीमा सुविधा की मांग की
प्रदेश के परिषदीय टीचरों ने राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा व बीमा सुविधा की मांग की

प्रदेश के परिषदीय टीचरों ने राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा व बीमा सुविधा की मांग की

हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब प्रयागराज, 27 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा व बीमा सुविधा की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य कर्मचारियों की तरह ही परिषदीय विद्यालयों के अध्यापक राज्य सरकार के निर्देश पर कोविड-19 की ड्यूटी कर रहे हैं। इसके बावजूद इनको राज्य कर्मचारियों की तरह कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। दुर्गेश प्रताप सिंह व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने इस मामले में प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार, राज्य कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा, बीमा कवर व कोविड महामारी के दौरान कार्य करने वाले कर्मचारियों को पचास लाख रुपये तक का बीमा कवर देती है। लेकिन परिषदीय शिक्षकों को ऐसी कोई सुविधा प्राप्त नहीं है। अधिवक्ता का कहना था कि याचिकाकर्ता प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक, शिक्षण कार्य के साथ ही बीएलओ, मतदान, मतगणना, जनगणना, एमडीएम, आपदा राहत सहित दर्जनों गैर शैक्षणिक कार्य भी करते हैं। इसके अलावा कोविड महामारी के दौरान भी परिषदीय शिक्षक सरकार व जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर प्रवासी कामगारों की स्क्रीनिंग, गांव में आए हुए प्रवासी कामगारों की घर-घर जाकर सूचना एकत्र करने, खाद्यान्न वितरण, घर-घर जाकर छात्रों व अभिभावकों के बैंक खाते व अन्य सूचनाओं को एकत्र कर एमडीएम कन्वर्जन कास्ट बैंक खातों में भेजने के साथ ही ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को अपनी शिक्षण सेवाएं अनवरत प्रदान कर रहे है। इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार प्राथमिक विद्यालयों में कार्य करने वाले शिक्षकों को राज्य कर्मचारी नहीं मानती और राज्य कर्मचारियों को प्राप्त कैशलेस चिकित्सा सुविधा, बीमा कवर, उपार्जित अवकाश समेत तमाम सुविधाएं शिक्षकों को नहीं दी जाती हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों को कार्य करने में कोई गुरेज नहीं है। लेकिन अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह सम्पूर्ण सेवा काल के दौरान कैशलेस चिकित्सा सुविधा व दुर्घटनावश विकलांगता या मृत्यु होने पर बीमा कवर प्रदान किया जाए। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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