पूण्य तिथि पर याद किये गये राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा अशोक सिंघल
पूण्य तिथि पर याद किये गये राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा अशोक सिंघल

पूण्य तिथि पर याद किये गये राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा अशोक सिंघल

-मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने अर्पित की श्रद्धांजलि -प्रयागराज के केसर भवन में आयोजित हुआ हवन अनुष्ठान लखनऊ, 17 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डा. दिनेश शर्मा समेत तमाम लोगों ने श्रीराम मंदिर आंदोलन के पुरोधा अशोक सिंघल को उनकी पूण्य तिथि पर मंगलवार को पूरी कृतज्ञता और श्रद्धा के साथ नमन किया। मुख्यमंत्री योगी ने इस अवसर पर अशोक सिंघल को सनातन संस्कृति का विस्तारक और श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का प्रमुख सूत्रधार बताते हुए कहा कि हिन्दू समाज के उन्नयन के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिन्दुत्व के पुरोधा, हिन्दू हृदय सम्राट और श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के नायक अशोक सिंहल को उनकी पूण्य तिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। अशोक सिंहल की पूण्य तिथि पर आज प्रयागराज में विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त कार्यालय केसर भवन में श्रद्धांजलि सभा एवं हवन अनुष्ठान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गौरतलब है कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल ने राम जन्मभूमि आंदोलन को विश्व पटल पर पहुंचाया था। उनका दिया नारा ‘‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मन्दिर वहीं बनायेंगे’’ आज भी लोगों के बीज गुंजायमान रहता है। तीर्थराज प्रयाग में महर्षि भरद्वाज आश्रम के पास स्थित महावीर भवन निवास रहा है, जो 1984 से मंदिर आंदोलन का मुख्य केंद्र बन गया था। आंदोलन को लेकर सारे निर्णय यहीं से लिए जाते थे। दरअसल अशोक सिंघल के नेतृत्व में ही विहिप ने वर्ष 1984 में श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया था। इसी के बाद से महावीर भवन मंदिर आंदोलन का मुख्य केंद्र बन गया। तीर्थराज प्रयाग में महर्षि भरद्वाज आश्रम के पास स्थित महावीर भवन राम मंदिर आंदोलन के महानायक रहे अशोक सिंहल का निवास रहा है। स्वर्गीय सिंहल विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे और विहिप ने वर्ष 1984 में श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया था। इसी के बाद से महावीर भवन मंदिर आंदोलन का मुख्य केंद्र बन गया। आंदोलन को लेकर सारे निर्णय यहीं से लिए जाते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 1984 के बाद राम मंदिर आंदोलन से जुड़े तमाम संत, शंकराचार्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चैथे सरसंघ चालक प्रो. राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भैया’ वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंधरा और विनय कटियार जैसे लोग इसी महावीर भवन में ही जुटते और यहीं से राम मंदिर आंदोलन का पूरा ताना-बाना बुना जाता था। अशोक सिंघल का वर्ष 2015 में आज के ही दिन 17 नवम्बर को निधन हो गया था। हालांकि अपने जीवन काल में ही उन्होंने अपने आवास ‘महावीर भवन’ को अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ और भारत संस्कृत परिषद को दान कर दिया था। राम मंदिर आंदोलन से बुद्धिजीवियों को जोड़ने के लिए उन्होंने वर्ष 2007 में अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की स्थापना की थी। बाद में उन्होंने अपने निवास महावीर भवन को ही पीठ का मुख्यालय बना दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी पीठ के पहले अध्यक्ष थे। वर्तमान में राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी इसके अध्यक्ष हैं। पीठ के निदेशक डॉ. चंद्रप्रकाश सिंह बताते हैं कि इसकी स्थापना राम मंदिर के अलावा भारतीय संस्कृति और परंपरा पर शोध करके उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए हुई है। पीठ की तरफ से श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर होने के पुरातात्विक, विधिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्यों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। अब तक यहां से 30 पुस्तकों का प्रकाशन कराया गया है। साथ ही विभिन्न विषयों पर अब तक 150 से अधिक सेमिनार व कार्यशालाएं भी पीठ द्वारा आयोजित कराए जा चुके हैं। पूण्य तिथि पर आज महावीर भवन में भी स्वर्गीय सिंघल को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी/राजेश-hindusthansamachar.in

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