पितृ पक्ष दो सितंबर से, इस बार ऑनलाइन पिंडदान पर रहेगा जोर
पितृ पक्ष दो सितंबर से, इस बार ऑनलाइन पिंडदान पर रहेगा जोर

पितृ पक्ष दो सितंबर से, इस बार ऑनलाइन पिंडदान पर रहेगा जोर

लखनऊ, 30 अगस्त (हि.स.)। पितरों को तर्पण देने और उनकी स्तुति का पर्व पितृ पक्ष इस वर्ष दो से 17 सितंबर तक रहेगा। इससे पहले दो सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार ऑनलाइन तर्पण व पिंडदान पर जोर दिया जा रहा है। पितृ पक्ष में प्रयागराज स्थित पवित्र संगम तट पर श्राद्ध व तर्पण करने वाले श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार बगैर संगमत तट पर श्राद्ध किए पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है। पितृ पक्ष में संगम के अलावा प्रदेश के तमाम श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए बिहार के गया और उत्तराखंड के बद्रीनाथ स्थित ब्रह्मकपाल जाते हैं। लेकिन, कोरोना के कारण इस साल स्थितियां काफी बदली हुई हैं। प्रयागराज, काशी और मथुरा समेत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के आचार्यों और पंडितों से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल में तमाम श्रद्धालु सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन पिंडदान करवाने पर जोर दे रहे हैं। प्रयागराज के आचार्य यज्ञनारायण और मथुरा के पंडित नंदलाल बताते हैं कि तमाम यजमानों ने फोन के माध्यम से ऑनलाइन श्राद्ध कराने की बुकिंग पहले से ही करा रखी है। आचार्यों का कहना है कि ऑनलाइन पिंडदान की परंपरा पिछले कुछ वर्षों से प्रचलन में आयी है। लेकिन, अब तक कुछ गिने चुने श्रद्धालु ही इस सुविधा का लाभ लेते थे। इनमें मुख्यतः वे लोग थे जो दूर दराज क्षेत्रों अथवा विदेशों में रहते हैं और पितृ पक्ष के अवसर पर पहुंचने में असमर्थ होते हैं। परंतु इस बार कोरोना के कारण जब तमाम प्रतिबंध लगा दिये गये तो अधिकतर लोग ऑनलाइन श्राद्ध प्रक्रिया की तैयारी में लग गये हैं। ज्योर्तिविद डॉ. ओमप्रकाशाचार्य का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में लोग घर पर भी श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्राद्ध के बाद ब्रह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभकर माना गया है। लेकिन, कोरोना के चलते यदि भोजन के लिए ब्राह्मण न मिलें तो उनके घर सूखा अनाज और दक्षिणा पहुंचा देने से भी काम चल जाएगा। डॉ. ओमप्रकाशाचार्य के अनुसार इस साल दो सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और पितृ पक्ष तीन से 17 सितंबर तक रहेगा। उन्होंने बताया कि अमूमन पितृ पक्ष के बाद शारदीय नवरात्र शुरु हो जाता है, लेकिन इस बार 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिमास रहेगा। ऐसे में शक्ति आराधना का पर्व एक माह विलंब से 17 अक्टूबर को प्रारम्भ होगा। सनातन धर्म में क्वार यानि आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में यदि पितरों की श्रद्धा पूर्वक पूजा न की जाए तो उनकी आत्मा भटकती रहती है। विधानतः पितृ पक्ष भाद्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से ही प्रारम्भ हो जाता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। अंतिम दिन पितृ विसर्जन पर पितरों को विधि विधान से विदा किया जाता है। ये हैं श्राद्ध की तिथियां -तीन सितंबर को प्रतिपदा यानि प्रथम श्राद्ध तिथि -चार सितंबर को द्वितीया की श्राद्ध तिथि - पांच सितंबर तृतीया की श्राद्ध तिथि - छह सितंबर को चतुर्थी की श्राद्ध तिथि -सात सिंतंबर को पंचमी की श्राद्ध तिथि -आठ सिंतंबर को षष्ठी की श्राद्ध तिथि -नौ सिंतंबर को सप्तमी की श्राद्ध तिथि -दस सिंतंबर को अष्टमी की श्राद्ध तिथि -11 सिंतंबर को नवमी की श्राद्ध तिथि -12 सिंतंबर को दशमी की श्राद्ध तिथि -13 सिंतंबर को एकादशी की श्राद्ध तिथि -14 सिंतंबर को द्वादशी की श्राद्ध तिथि -15 सिंतंबर को त्रयोदशी की श्राद्ध तिथि -16 सिंतंबर को चतुर्दशी की श्राद्ध तिथि -17 सिंतंबर को अमावस्या की श्राद्ध तिथि हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी-hindusthansamachar.in

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