पिछली सरकारों के पास किसानों के जीवन में खुशहाली लाने की नहीं थी फुर्सत : योगी आदित्यनाथ
पिछली सरकारों के पास किसानों के जीवन में खुशहाली लाने की नहीं थी फुर्सत : योगी आदित्यनाथ

पिछली सरकारों के पास किसानों के जीवन में खुशहाली लाने की नहीं थी फुर्सत : योगी आदित्यनाथ

कहा, सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने का राजनीतिक उद्देश्य बनाने वालों से कैसी उम्मीद लखनऊ, 25 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को विपक्षी दलों को किसानों के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाते हुए आड़े हाथों लिया। उन्होंने वर्तमान केन्द्र और प्रदेश सरकार के विभिन्न फैसलों, योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इनसे किसानों के जीवन में खुशहाली आयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की खुशहाली का काम पहले भी किया जा सकता था। लेकिन, पिछली सरकारों के पास फुर्सत नहीं थी। जिन्होंने सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर परिवार, जाति के आधार पर भेदभाव करने को अपने राजनीतिक जीवन का उद्देश्य बना दिया हो, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने किसानों को लागत का उचित मूल्य नहीं मिलने पर कांग्रेस, सपा बसपा पर निशाना साधा। वहीं किसानों के हितों में किए फैसलों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी को याद किया। आजादी के बाद पहली बार अटल सरकार में किसान हित में हुए फैसले मुख्यमंत्री यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 'किसान सम्मान निधि' योजना के अंतर्गत देश के किसानों के खाते में धनराशि के ऑनलाइन हस्तांतरण कार्यक्रम को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज अटल जी की जयंती को किसान सम्मान दिवस के रूप में मनाना सर्वथा उपयुक्त है, क्योंकि किसानों के हितों और उन्हें आर्थिक रूप से सम्बल बनाने के लिए आजादी के बाद सबसे पहली बार अटल जी की सरकार में ही प्रयास हुआ। पीडीएस की जो व्यवस्था आज देखने को मिल रही है, वहीं अंत्योदय, अन्नपूर्णा जैसे योजनाएं अटल जी की ही देन हैं। हर गरीब को नि:शुल्क या सस्ते में खाद्यान्न उपलब्ध कराने की जो कार्रवाई प्रारंभ हुई है, वह भी अटल जी की ही देन है। गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने का श्रेय अटल जी को उन्होंने कहा कि खाद्यान्न कब आएगा, कब गरीब तक पहुंचेगा, जब अन्नदाता किसान से इसका क्रय करने की व्यवस्था हो। आजादी के बाद पहली बार देश के अंदर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर देने का प्रयास प्रारंभ अटल जी के समय में प्रारंभ हुआ था। उनके समय में ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना प्रारंभ की गई और प्रत्येक गांव का मार्ग पक्की सड़क से जुड़ते हुए दिखाई दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हर गांव में अच्छे मार्ग हैं। किसान अपनी उपज को मंडी और कहीं भी ले जाने के लिए आज अगर अच्छे साधन का प्रयोग कर रह है तो ऐसे पक्के मार्गों का श्रेय अटल जी को जाता है। अटल जी के कार्यों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह देश के अंदर अंतरराष्ट्रीय मानक के हाईवे बनें, हर गरीब के हाथ में मोबाइल हो, इस परिकल्पना को भी अटल जी ने साकार किया। इस तरह ये सब आर्थिक स्वावलंबन के आधार बनाने का कार्य पूर्व प्रधानमंत्री ने किया। उन्होंने कहा कि वहीं गांव, गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं के लिए जो शुरुआत अटल जी ने की थी, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे नई ऊंचाइयों, नए आयाम तक पहुंचाने का कार्य किया है। पिछली सरकारों में नहीं था आत्मीयता का भाव मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कार्यक्रम में किसानों को ट्रैक्टर की चाबी प्रदान की गई। इससे पहले 23 दिसम्बर को लखनऊ में भी ये कार्य किया गया। जब किसान अपने ट्रैक्टर पर बैठकर जा रहा था तो ऐसा लग रहा था जैसे भारत का किसान दुनिया का सबसे समृद्धशाली किसान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की खुशहाली का मार्ग पहले भी प्रशस्त किया जा सकता था। लेकिन, पिछली सरकारों के पास गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं के लिए कार्य करने फुर्सत नहीं थी। इनके बारे में कार्य वह करेगा जिनका इनके प्रति आत्मीयता का भाव हो। उन्होंने कहा कि वहीं जिन्होंने सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करके परिवार, जाति, क्षेत्र और भाषा के आधार पर भेदभाव करना, विभाजन की रेखाओं को खींचना, मत और मजहब के आधार पर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने को ही अपने राजनीतिक जीवन का उद्देश्य बना दिया हो, उनसे आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं। पहले सरकारी नौकरी निकलते ही शुरू हो जाती थी चौथ वसूली मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग गांव के विकास, नौजवानों को नौकरी, रोजगार के बारे में सोचेंगे इनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा पहले प्रदेश में नौकरी निकलती थी तो कुछ परिवारों के लोग चौथ वसूली में निकल पड़ते थे नौजवान को नौकरी उसकी योग्यता और क्षमता के आधार पर नहीं बल्कि बोली बोल कर मिलती थी और योग्य अभ्यर्थी वंचित रह जाता था। उन्होंने कहा कि वहीं वर्तमान सरकार में पिछले साढ़े तीन वर्ष के दौरान किसी भी नौकरी में किसी भी प्रकार से कोई भेदभाव नहीं किया गया। योग्यता के आधार पर प्रदेश के नौजवान को सम्मानजनक नौकरी देने का कार्य किया जा रहा है। पिछले सरकारों ने केवल गुमराह-भेदभाव करने का किया काम उन्होंने कहा कि वहीं प्रदेश में जब हमारी सरकार का चार साल का कार्यकाल संपन्न होगा, तब तक हम लोग चार लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दे चुके होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा इन चार लाख नौजवानों को पहले भी नौकरी दी जा सकती थी। लेकिन, पिछली सरकारें केवल गुमराह और भेदभाव कर रहीं थीं। नौकरी के नाम पर उन्होंने वसूली का अड्डे बना दिए थे। कोई भी सरकारी नौकरी निकलती थी तो परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग दिशाओं में झोला लेकर वसूली पर निकल पड़ते थे। आज कोई वसूली नहीं कर सकता, क्योंकि उसे मालूम है कि अगर नौकरी के नाम पर वसूली की तो उसे जिंदगी भर जेल के अंदर करना पड़ेगा, क्योंकि नौजवानों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना सरकार को किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है। गरीबों की जमीन पर कब्जा करने वालों की छाती पर आज चल रहा बुलडोजर मुख्यमंत्री ने कहा इसी प्रकार से किसानों के लिए बात करें तो 2004 से 2014 के बीच देश और प्रदेश के अंदर किसानों ने आत्महत्याएं की, क्योंकि उन्हें बीज, खाद, बिजली नहीं मिलती थी। अगर जैसे तैसे उसने खेत में अनाज उत्पन्न भी कर दिया तो कोई उचित दाम नहीं मिलता था। उन्होंने कहा कि अगर किसान ने गन्ना उत्पादन करके चीनी मिलों तक पहुंचा दिया तो पांच-छह वर्षों तक उसका मूल्य भुगतान नहीं होता था। किसान हताश और निराश होकर कर्ज के बोझ के नीचे दब रहा था। उसके सामने पलायन और आत्महत्या करने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं बचा था। वहीं फिर किसानों, गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने किया जाता था। जबकि, आज सरकार का बुलडोजर इन माफियाओं की छाती पर चल रहा है और किसानों की जमीनों को मुक्त कराया जा रहा है। यूपीए सरकार ने नहीं लागू की स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पिछले छह वर्षों में किसानों को खाद, बीज की कोई किल्लत नहीं हुई। पिछले साढ़े तीन वर्षों से हम लोगों ने प्रदेश के अंदर क्रय केंद्रों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को देना प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लागत का डेढ़ गुना दाम देने की सिफारिश स्वामीनाथन कमेटी ने की थी। तब केन्द्र में यूपीए की सरकार की और सपा, बसपा उसे बिना मांगे समर्थन दे रहीं थीं कि कहीं इनके गलत कार्यों के लिए सरकार सीबीआई के जरिए जांच बैठा कर जेल के अंदर ना डाल दे। उस सरकार के समय में स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट आई। लेकिन, उसे दबाकर रखा गया। जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी जी के हाथों में देश आया तो उन्होंने स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार लागत का डेढ़ गुना दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में किसान के खाते में देना प्रारम्भ कराया। वहीं 24 जींस के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की। मार्च 2021 तक 20 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में जब हम लोग प्रदेश में सत्ता आए तो सबसे पहले किसानों की ऋण माफी का कार्य किया। इसमें 86 लाख किसानों के 36000 करोड़ रुपये के ऋण माफी के कार्यक्रम को प्रदेश के अंदर पूरी सफलतापूर्वक सम्पन्न कराया गया। इसके बाद प्रदेश के अंदर दशकों से लंबित सिंचाई की परियोजनाओं को पूरा करने का कार्य किया गया। बाणसागर जैसी परियोजना संपन्न हुई और मार्च 2021 तक प्रदेश के अंदर 20 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को हम सिंचाई की सुविधा देने जा रहे हैं। यह सब मात्र चार वर्ष के अंदर होने जा रहा है। दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को किया पूरा मुख्यमंत्री ने कहा कि बाणसागर परियोजना की बात करें तो मोरारजी देसाई जब देश के प्रधानमंत्री थे, तो उन्होंने 1977 इसका शिलान्यास किया था। वहीं 2017 तक ये परियोजना पूरी नहीं हो पाई। लेकिन, 2017 में आने के बाद एक वर्ष के अंदर इस परियोजना को पूरा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से राष्ट्र को समर्पित कराने का काम हमारी सरकार ने किया। इसी तरह सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अंदर मध्य गंगा परियोजना सहित ऐसी लगभग 12 परियोजनाओं को आज भारत सरकार के माध्यम से पूरा करते हुए किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री मृदा परीक्षा कार्यक्रम आदि के जरिए हर एक घर, हर एक गांव तक पहुंचना, यह किसानों के जीवन में खुशहाली लाने का ही कार्यक्रम है। पहले की सरकारों में बेची जाती थी चीनी मिलें मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्हें अच्छा नहीं लगता कि किसान तकनीक के साथ जुड़ें, किसान को आसानी से बीज प्राप्त हो, उसके जीवन में खुशहाली आए, वह तमाम प्रकार से गुमराह करने का काम कर रहे हैं। जब 2017 में हमारी सरकार आई थी तो छह वर्ष मूल्य से गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो पाया था और पहले की सरकारों ने प्रदेश के अंदर चीनी मिलों को बेचना प्रारंभ कर दिया था। वहीं पिछले साढ़े तीन वर्ष के अंदर कोई चीनी मिल बेची नहीं गई, बल्कि चीनी मिलों को चलाने का कार्य हुआ है। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह की स्वयं के कर्म भूमि में रमाला चीनी मिल का तीस वर्षों से नवीनीकरण और विस्तारीकरण करने की मांग हो रही थी। किसी को इसकी फुर्सत नहीं थी। जब हमारी सरकार आई तो हमने धनराशि दी और उसका नवीनीकरण व विस्तारीकरण हुआ और वर्तमान में ये चीनी मिल प्रतिदिन 50 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करने का कार्य बागपत के अंदर कर रही है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/दीपक-hindusthansamachar.in

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