परिवार नियोजन संसाधनों तक सबकी होनी चाहिये पहुंच :  गांधी
परिवार नियोजन संसाधनों तक सबकी होनी चाहिये पहुंच : गांधी

परिवार नियोजन संसाधनों तक सबकी होनी चाहिये पहुंच : गांधी

-15 गांवों में स्वास्थ्य अभियान में हेल्थ एवं बैलनेस सेंटर की सुविधाओं से कराया रूबरू -भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट 1.15 फीसद होने को लेकर जताई गयी चिंताएं हमीरपुर, 16 अक्टूबर (हि.स.)। कुरारा क्षेत्र के 15 गांवों में शुक्रवार को सात दिवसीय स्वास्थ्य अभियान के दौरान हेल्थ एवं बैलनेस सेंटर से मिलनी वाली सुविधाओं, परिवार नियोजन एवं स्वास्थ्य बजट को लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया गया। समर्थ फाउन्डेशन के सचिव देवेन्द्र गांधी ने कहा कि परिवार नियोजन संसाधनों तक सबकी पहुंच सुनिश्चित होनी चाहिये। कुरारा ब्लाक के टोडरपुर, कुशौलीपुरवा एवं देवीगंज में समर्थ फाउन्डेशन के तत्वाधान में आज प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित कर ग्रामीणों को परिवार नियोजन, स्वास्थ्य बजट एवं हेल्थ एवं बेलेनेस सेन्टर से मिलने वाली सुविधाओं पर जानकारी देते हुए बताया कि अब अन्तरा इंजेक्शन भी एचडब्ल्यूसी (हेल्थ एवं बेलनेस सेन्टर) पर लगेंगे। प्राथमिक उपचार एवं प्राथमिक जांच बलगम, शुगर, ब्लड प्रेशर, आदि की जांच होगी। परिवार नियोजन के साधन अन्तरा तीन माह के अन्तराल पर लगवाया जाता है। गर्भ निरोधक साधनों में अन्तरा के अलावा इजी पिल्स, छाया, कण्डोम आदि की विस्तार से जानकारी दी गई। दो बच्चों के बीच अन्तर कम से कम तीन साल तक रखे। इससे बच्चों और मां दोनों की सेहत बेहतर रहती हैं। गुणवत्तापूर्ण मात्त्व स्वास्थ्य सुबिधाओं की उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चत हों, इसके लिये लोगों को जागरूक होना होगा और अपने स्वास्थ्य के बेहतरी के लिये सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। गर्भवती महिलाओं को होने वाली चार जांचों के बारे में विस्तार से बताया और गर्भवती महिलाओं, किशोरियों व बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की। कम उम्र होने वाली शादियों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया कि कच्ची उम्र में शादी करने पर शारीरिक व मानसिक यातनाए सहनी होनी होती हैं। 18 साल से पहले लड़की और 21 साल से पहले लड़के की शादी न करें। इस अभियान के दौरान हमीरपुर जनपद के सीमावर्ती ग्राम टोडरपुर में उपस्वास्थ्य केन्द्र व हेल्थ एवं वेलनेस सेन्टर नही होने से लोगो को दिक्कत होती हैं। ग्राम की महिलाओं ने बताया कि टीकाकरण के अलावा उन्हें अगर किसी तरह के उपचार की जरूरत होती है तो उन्हें यह सुबिधाएं मिलने में दिक्कत होती हैं। और उन्हें जनपद जालौन पर निर्भर होना होता है। इस सात दिवसीय अभियान को सीता, सुमन, उर्मिला, निर्मला, सुनील, इसरार आदि ने सक्रिय सहयोग कर लोगों को गांव-गांव जाकर परिवार नियोजन के साधनों व हेल्थ एवं बेलनेस सेन्टर पर मिलने वाली सुबिधाओं तथा स्वास्थ्य बजट पर लोगों को जागरूक किया। भारत में वर्तमान समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बजट मात्र सकल धरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 1.15 प्रतिशत ही खर्च किया जा रहा है, जो कि बहुत कम है। इसे सकल धरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3 प्रतिशत किये जाने की मांग लम्बे समय से की जा रही है। इतना कम बजट होने के बावजूद पूरा पैसा खर्च नहीं हो पाता है। इसका प्रमुख कारण प्लानिंग का सही समय पर न होना व फण्ड फ्लो ठीक नहीं होना आदि प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च मात्र 452 रूपये हैं। देश की 16 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले राज्य को भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय का केवल 9 प्रतिशत ही बजट मिलता है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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