निमोनिया से नौनिहालों को बचाएगा न्यूमोकॉकल टीका
निमोनिया से नौनिहालों को बचाएगा न्यूमोकॉकल टीका

निमोनिया से नौनिहालों को बचाएगा न्यूमोकॉकल टीका

आठ अगस्त को प्रदेश के 56 जनपदों के साथ हमीरपुर में लांच होगी वैक्सीन हमीरपुर, 21 जुलाई (हि.स.)। निमोनिया से होने वाली शिशुओं की मौत पर विराम लगाने को लेकर न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) लांच की जा रही है। आठ अगस्त से इस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण में शामिल कर लिया जाएगा। वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों को जल्द ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह टीका शिशुओं को न सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्सिस (खून का इंफेक्शन), बैक्टीरीयल मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) से भी बचाएगा। इससे पूर्व जिला स्तरीय और ब्लाक स्तरीय टॉस्क फोर्स की बैठकें भी होंगी। जिसमें विशेषज्ञों द्वारा वैक्सीन के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.राम अवतार ने मंगलवार को बताया कि जन्म से एक साल की उम्र तक के बच्चों को वैक्सीन तीन टीकों के रूप में दी जाएगी। दो प्राइमरी टीके क्रमशः छह और 14 सप्ताह की उम्र पर और बूस्टर टीका नौ महीने की उम्र पर दिया जाएगा। इसके बाद निमोनिया से होने वाली शिशु मृत्यु दर में निश्चित तौर पर कमी आएगी। उन्होंने बताया कि अभी इस वैक्सीन को प्रदेश के 19 जिलों में नियमित टीकाकरण के तहत दी जा रही थी। अब आठ अगस्त से हमीरपुर सहित कुल 56 जनपदों में इस वैक्सीन को एक साथ लांच किया जा रहा है। जल्द ही डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टॉस्क फोर्स की बैठक होगी, जिसमें यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों द्वारा टीके से सम्बंधित विशेष जानकारी व प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके बाद ब्लाक स्तर पर बैठकें और प्रशिक्षण होंगे। नाक और गले में पाया जाता है बैक्टीरिया जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि न्यूमोकाकल जिसे स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिए भी कहते हैं, एक बैक्टीरिया है। यह स्वस्थ लोगों के नाक और गले में बिना कोई बीमारी के भी पाया जाता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है और कई बीमारियों न्यूमोनिया, बैक्टीरीमिया, सेप्सिस, दिमागी बुखार, कान का इंफेक्शन, साइन्यूसाइटिस, ब्रोन्काइटिस आदि पैदा कर सकता है। बीमारी का फैलाव व लक्षण न्यूमोकॉकल बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के खांसने और छींकने से फैलती है। यह बैक्टीरिया पांच साल से छोटे बच्चों खासकर दो साल से छोटे बच्चों, कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों एवं वृद्धों को बीमार कर सकता है। इसके लक्षणों में खांसी आना, कफ या बलगम आना, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, ठंड से कंपकपी, गहरी सांस लेते समय या खांसते समय सीने में दर्द, उल्टी होना, दस्त लगना, पसीना आना, सिरदर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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