देवोत्थान एकादशी पर 51 हजार दीपों से जगमगाएगा विंध्यधाम
देवोत्थान एकादशी पर 51 हजार दीपों से जगमगाएगा विंध्यधाम

देवोत्थान एकादशी पर 51 हजार दीपों से जगमगाएगा विंध्यधाम

-कोरोना के चलते नहीं होगा सांस्कृतिक कार्यक्रम -आकर्षक ढंग से सजेगा विंध्यवासिनी मंदिर -श्रृंगार के बाद वितरित होगा प्रसाद मीरजापुर, 24 नवम्बर (हि.स.)। विंध्य क्षेत्र में त्योहारों को मनाने और सजाने का अंदाज भी जुदा है। दीपावली के बाद देवोत्थान एकादशी के अवसर पर विंध्यधाम में भव्य दीपोत्सव मनाया जाएगा। विंध्य क्षेत्र की देव दीपावली में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। देवोत्थान एकादशी के अवसर विंध्यधाम में होने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम कोरोना के चलते इस बार नहीं होगा। हालांकि मंदिर को रंग-बिरंगी झालरों से सजाने व 51 हजार दीप जलाने की तैयारी की गई है। श्रृंगारिया शेखर शरण उपाध्याय ने बताया कि देवोत्थान एकादशी के अवसर पर 51 हजार दीप विंध्याचल में जलाया जाएगा। मां विंध्यवासिनी विशेष श्रृंगार कर प्रसाद वितरण किया जाएगा। हर साल होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम व भजन आदि कोरोना के चलते स्थगित कर दिया गया है। हालांकि मंदिर का सजावट आकर्षक ढंग से किया जाएगा। देवोत्थान एकादशी पर बिहार, दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी समेत देश के कोने-कोने से दर्शनार्थी विंध्यधाम आते हैं। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत त्योहारों का विशेष महत्व है। वहीं सभी 24 एकादशी में सबसे शुभ और मंगलकारी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी मानी जाती है। देवोत्थान एकादशी को देव उठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी के दिन श्रीविष्णु जो पिछले चार महीनों से क्षीर सागर में सोए हुए थे वह जागते हैं। भगवान विष्णु के जागते ही चार महीनों से रूके हुए सभी शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। देवोत्थान एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु नींद से जागते हैं, जिसकी खुशी और स्वागत में सभी देवी-देवता दीप उत्सव मनाते हैं। वहीं देवोत्थान एकादशी के दिन श्रीविष्णु के शालिग्राम रूप और तुलसी का विवाह भी होता है। हिन्दुस्थान समाचार/ गिरजा शंकर/दीपक-hindusthansamachar.in

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