दुनिया में चरित्र निर्माण की कोई मशीन का निर्माण अभी तक नही हुआ- डॉ. पुण्डरीक शास्त्री
दुनिया में चरित्र निर्माण की कोई मशीन का निर्माण अभी तक नही हुआ- डॉ. पुण्डरीक शास्त्री

दुनिया में चरित्र निर्माण की कोई मशीन का निर्माण अभी तक नही हुआ- डॉ. पुण्डरीक शास्त्री

वाराणसी, 20 अक्टूबर (हि.स.)। जाने माने कथावाचक डॉ. पुण्डरीक शास्त्री ने कहा कि गुरु और भगवान के प्रति अनास्था नहीं होनी चाहिये । इससे दुर्भाग्य का जन्म होता है । दोनों के प्रति सदैव आस्था और श्रद्धा का भाव होना चाहिये। कथावाचक शास्त्री मंगलवार सायंकाल सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित ज्ञानचर्चा कार्यक्रम में नव दिवसीय श्री रामकथामृत में अपने श्रीमुख से ज्ञानगंगा बहा रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रद्धा दो तरह की होती है। एक चल श्रद्धा और दूसरी अचल श्रद्धा । इस तरह से हमारा भाव किस पर है। इसका मूल्यांकन अवश्य करना चाहिये। अचल श्रद्धा गुरु और ईश्वर के प्रति सदैव स्थिर भाव में होते है वह कभी डगमगाता नहीं। कथावाचक ने कहा कि दुनिया में विज्ञान ने सब कुछ खोज डाला । किन्तु, चरित्र निर्माण की कोई मशीन का निर्माण अभी तक न हुआ। चरित्र निर्माण सत्संग से ही सम्भव है। सुन्दर काण्ड की प्रमुख विशेषता भी यही है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति लक्ष्य को साध्य मानकर चलता रहता है वह चरैवेति चरैवेति के सूत्र को स्वीकार कर लक्ष्य भाव को प्राप्त करता है । रामकथा अमृत पान से अन्तर्मन की पवित्रता का संवर्धन पोषण होता है। इससे समरसता का भाव पैदा होता है। कथा की अध्यक्षता कुलपति प्रो.राजाराम शुक्ल ने की। कथा का लाइव प्रसारण विवि के सोशल मीडिया पेज पर भी किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/संजय-hindusthansamachar.in

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