दीपावली के पर्व पर कोविड का करें पालन, जीवन की रंगोली में न भरने दें कोरोना का रंग
दीपावली के पर्व पर कोविड का करें पालन, जीवन की रंगोली में न भरने दें कोरोना का रंग

दीपावली के पर्व पर कोविड का करें पालन, जीवन की रंगोली में न भरने दें कोरोना का रंग

- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वेबिनॉर के जरिये दी गयी जानकारी कानपुर, 06 नवम्बर (हि.स.)। दीपावली का पर्व नजदीक आ रहा है और इस पर्व में भी पिछले महीनों हुए पर्वों की भांति कोविड की गाइडलाइन का पालन करना है। इस बार हमें हर त्योहार, उचित व्यवहार, सर्वोत्तम उपहार के फार्मूले पर दीपावली मनानी होगी, जिससे कि जीवन की रंगोली में कोरोना का रंग न भरने पाए। त्योहार में खुशियां फैलाने के लिए उचित व्यवहार को अपनाकर कोरोना को दूर भगाना होगा। यह बातें शुक्रवार को एक वेबिनार में जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा ने कहीं। जिला प्रशासन के जागरूक कानपुर अभियान के तहत सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा शुक्रवार को बेविनॉर का आयोजन किया गया। जिसका विषय त्योहारों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन और कोविड जांच व देखभाल था। बेवनार में करीब 200 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। सिटी वन की बाल विकास परियोजना अधिकारी अनामिका सिंह ने कहा कि दूसरे शहरों में नौकरी कर रहे लोगों का त्योहारों में अपने घर आना होता है। इसके अलावा हम लोग भी एक दूसरे से मिलते हैं, ऐसे में हम तमाम आवश्यक सावधानियों को भूल जाते हैं। इस कोरोना काल में जरुरत है कि हम सब एक दूसरे को बधाई देते समय कोविड प्रोटोकॉल दो गज की दूरी, मास्क की उपयोगिता और हाथों की धुलाई के महत्व के बारे में चर्चा करना कतई न भूले। खास बात यह भी है कि हम लोग न सिर्फ कोविड प्रोटोकॉल के बारे में चर्चा करें बल्कि इसे हम अपने व्यवहार में भी लाएं। सीफार संस्था की रंजना द्विवेदी ने कहा कि स्वास्थ्य व पोषण संचार लोगों को रोगों से बचाव के लिए है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम लोग प्रोटोकाल का पालन नहीं करते हैं, ऐसे लोगों को आप आसपास के लोगों का उदाहरण देकर उन्हें समझा सकते हैं और जागरूक कर सकते हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है, लेकिन तमाम परिवार की अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के चलते तमाम माताएं अपने बच्चों को जन्म के तुरंत बाद का पीला गाढ़ा दूध नहीं देती हैं, ऐसे में आप लोग इस तरह के दोनों परिवारों के साथ एक साथ बातचीत कर उन्हें स्तनपान के लाभों की जानकारी दे सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जब भी किसी गर्भवती से बात करें तो उसके परिवार वालों को गर्भवावस्था से प्रसव तक होने वाले जोखिमों को भी जरुर बताएं। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित-hindusthansamachar.in

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