तिब्बत में चीन लगातार कर रहा पर्यावरण विनाश : तेनजिन धोंडुप
तिब्बत में चीन लगातार कर रहा पर्यावरण विनाश : तेनजिन धोंडुप

तिब्बत में चीन लगातार कर रहा पर्यावरण विनाश : तेनजिन धोंडुप

-‘मार्च फॉर फ्रीडम’ का राजधानी लखनऊ में हुआ जोरदार स्वागत लखनऊ, 14 दिसम्बर (हि.स.)। तिब्बती युवक तेनजिन धोंडुप ने सोमवार को यहां कहा कि चीन तिब्बत में लगातार पर्यावरण विनाश का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के इस कुकृत्य का दुष्परिणाम पूरी दुनिया विशेषकर दक्षिण एशिया को भुगतना पड़ सकता है। तिब्बत की आजादी के लिए मार्च फार फ्रीडम अभियान पर निकले तेनजिन धोंडुप और तेनजिन ने आज राजधानी लखनऊ में मीडिया से वार्ता के दौरान विश्व समुदाय का ध्यान मुख्य तीन विन्दुओं पर आकृष्ट किया। इसमें उन्होंने तिब्बत में बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति पर तत्काल ध्यान देने, तिब्बत को एक स्वतंत्र देश के रुप में मान्यता प्रदान करने और उस पर चीन द्वारा जबरदस्ती कब्जे पर हस्तक्षेप करते हुए तिब्बत को चीन के खूनी पंजे से मुक्त कराने की पहल करने के साथ ही चीन द्वारा लद्दाख स्थित भारत-तिब्बत सीमा पर हाल ही में हुए हमले के लिए अपना रोष प्रकट करते हुए चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। साथ ही संयुक्त राष्ट्र से विस्तारवादी चीन के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही करने की मांग की। अंर्तराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ में आयोजित पत्रकार वार्ता में धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश से नाथुला, सिक्किम में भारत-तिब्बत सीमा तक 2100 किमी की पदयात्रा के अभियान पर निकले तेनजिन धोंडुप ने तिब्बत में किए जा रहे पर्यावरण विनाश और पूरे एशिया के लिए इसके दुष्परिणाम के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि तिब्बत एक स्वतंत्र देश था लेकिन चीन ने 1959 में वहां बलपूर्वक एवं छलकपट कर कब्जा कर लिया। इसलिए दुनिया को स्वीकार करना चाहिए कि तिब्बत एक अधिकृत (स्वतंत्र) देश है। उन्होंने आगे कहा कि सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों की हत्या की बार-बार की गई हरकत बेहद निंदनीय है। चीन को इन सभी बुरे कामों के लिए जवाबदेह होना चाहिए। तिब्बती युवक तेनजिन ने चाईनीज उत्पादों की खरीद और चीन में निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह अप्रत्यक्ष रूप से हमारे खिलाफ चीन की मदद करता है। चंडीगढ के युवा तेनजिन न्यिमा ने मीडिया को बताया कि वह तेनजिन धोंडुप के साथ यात्रामें शामिल हो गए क्योंकि यह तिब्बत के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान है और उन्होंने यह भी महसूस किया कि किसी को तेनजिन धोंडुप के साथ होना चाहिए क्योंकि वह इतनी लंबी यात्रा के लिए अकेला था और उसे मदद और समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि तिब्बत की आजादी मिलने तक वह ऐसे अभियानों में भाग लेते रहेंगे जब तक कि उनके शरीर में जान है। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष भदन्त शान्ति मित्र ने मार्च की सराहना करते हुए तिब्बत मुक्ति आन्दोलन का समर्थन करते हुए हर सम्भव सहयोग के लिए आश्वस्त किया। भारत तिब्बत संवाद मंच सहित अन्य समाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने तिब्बत की आजादी और फ्रीडम मार्च का समर्थन करते हुए कहा कि धूर्त, कपटी व विस्तारवादी चीन कभी भी भारत का पड़ोसी नहीं था। तिब्बत पर अबैध कब्जा करने के बाद अब भारत के पूर्वोत्तर और अरुणांचल को अपना बता कर भारत की सम्प्रभुता पर हमला कर रहा है जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। तिब्बत की आजादी की लड़ाई भारत की सम्प्रभुता से जुड़ी हुई है। तिब्बत की आजादी के साथ ही भारत की 3500 किमी सीमा पर विवाद स्वतः समाप्त हो जायेगा और इस पर खर्च होने वाला अरबों डालर देश के विकास में खर्च हो सकेगा। इसके साथ ही करोड़ों शिव भक्त हिन्दू, बौद्ध, जैन अपने आध्यात्मिक केंद्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा बिना रोक टोक कर सकेंगे। इस अवसर पर सबने तिब्बत की आजादी के आन्दोलन को पूर्ण समर्थन देने और चीनी उत्पादों के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प लिया। दो नवम्बर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से निकला यह फ्रीडम मार्च हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली से होकर 41वें दिन उप्र की राजधानी लखनऊ पहुंचा। 2100 किमी की यह यात्रा वाराणसी, बोध गया बिहार, सिलिगुड़ी और गंगटोक होते हुए सिक्किम के नाथुला चीन बार्डर पर 90 दिनों में समाप्त होगी। कोरोना महामारी के बीच तिब्बती युवक तेनजिन धोंडुप ने दो नवम्बर को धर्मशाला से नाथुला के लिए अपना एकल मार्च शुरू किया था। इस दौरान वह दुनिया को चीन के बुरे कामों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। कुछ दिन बाद जब यह पदयात्रा चंडीगढ़ पहुंची तो वहां के एक अन्य तिब्बती युवक तेनजिन न्यामा भी इसमें शामिल हो हुए। तेनजिन धोंडुप का कहना है कि कोरोना संक्रमण का एहतियात लेते हुए आयोजन को केवल स्वागत व पत्रकार वार्ता तक ही सीमित किया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी पदयात्रा रविवार देर शाम को ही राजधानी लखनऊ गई थी, जहां लोगों ने जोरदार स्वागत किया। लखनऊ प्रवास के दौरान तिब्बती युवा ने उप्र विधान परिषद के पूर्व नेता व संरक्षक भारत-तिब्बत संवाद मंच विन्ध्यवासिनी कुमार, अखिल भारतीय समन्वयक भारत तिब्बत संवाद मंच, डॉ. संजय शुक्ला, सदस्य केंद्रीय कोर ग्रुप, भारत तिब्बत संवाद मंच, स्वदेश सिंह, सदस्य अल्पसंख्यक आयोग उप्र, सरदार परविन्दर सिंह, निदेशक वक्फ विकास निगम, शफाअत हुसैन, बौद्ध भिक्षु शीलरत्न, मो0 जिर्गाम खान सदस्य मदरसा बोर्ड एवं कर्नल दयाशंकर दूबे सहित सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों के सदस्यों और पदाधिकारियों के साथ मुलाकात भी की और सभी को चीन के बुरे मंशूबों की जानकारी दी। हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी/दीपक-hindusthansamachar.in

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