तिब्बत की आजादी के लिए धर्मशाला से 41 दिन तक लगातार पैदल चलकर वाराणसी पहुंचे दो युवा
तिब्बत की आजादी के लिए धर्मशाला से 41 दिन तक लगातार पैदल चलकर वाराणसी पहुंचे दो युवा

तिब्बत की आजादी के लिए धर्मशाला से 41 दिन तक लगातार पैदल चलकर वाराणसी पहुंचे दो युवा

-सिक्किम के नाथुला चीन बॉर्डर तक जाने का संकल्प, केन्द्रीय तिब्बती शिक्षण संस्थान में युवाओं का भव्य स्वागत वाराणसी, 25 दिसम्बर (हि.स.)। तिब्बत को चीन के चंगुल से मुक्ति दिलाने और आजादी का सपना लेकर जन जागरण यात्रा पर धर्मशाला से सिक्किम के नाथुला चीन बॉर्डर तक पैदल निकले दो युवा तेनजिंग धोंडुप और तेनजिंग न्यामा शुक्रवार को वाराणसी पहुंचे। युवक धर्मशाला से 90 दिन की अनवरत पैदल यात्रा पर निकले हैं। यात्रा में दिल्ली लखनऊ होते हुए 41वें दिन शुक्रवार को यहां आये। सारनाथ स्थित केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान में पहुंचे दोनों युवाओं का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दोनों ने बताया कि चीन की विस्तारवादी नीति ने तिब्बत की परंपरा और संस्कृति को विनष्ट तो किया ही है। साथ ही भारत के लिए भी एक चुनौती बना हुआ है। चीन जिस गति से पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है उसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर पड़ने वाला है। दोनों युवकों ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य तिब्बत के पर्यावरण को बचाना है। तथा चीन द्वारा बनाए गए सामानों का बहिष्कार करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि पैदल यात्रा का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ संवाद कर चीन की असलियत को बताना है, जिससे लोगों को चीन की सच्चाई का पता चल सके। इस दौरान संस्थान में मौजूद भारत तिब्बत सवांद मंच सहित अन्य सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने तिब्बत की आजादी और फ्रीडम मार्च का समर्थन किया। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि धूर्त कपटी व विस्तार वादी चीन कभी भी भारत का पड़ोसी नहीं था। तिब्बत पर अवैध कब्जा करने के बाद अब भारत के पूर्वोत्तर और अरुणाचल अपना बताकर भारत की संप्रभुता पर हमला कर रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। तिब्बत की आजादी की लड़ाई भारत की संप्रभुता से जुड़ी हुई है। तिब्बत की आजादी के साथ ही भारत की 3500किमी सीमा पर विवाद स्वतः समाप्त हो जाएगा। इस पर खर्च होने वाला अरबों डॉलर देश के विकास में खर्च हो सकेगा। इसके साथ ही करोड़ों शिवभक्त हिंदू, बौद्ध, जैन अपने अध्यात्मिक केंद्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा बिना रोक.टोक कर सकेंगे। मौजूद लोगों ने तिब्बत की आजादी के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का संकल्प भी लिया। संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रोफेसर उमेश सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में सिडोन, डॉ जंपा, डॉक्टर अनुराग त्रिपाठी, डॉ सुशील कुमार सिंह आदि भी मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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