जैविक युद्ध कोरोना में हताहत लोगों का भी होगा श्राद्ध – राजकुमार
जैविक युद्ध कोरोना में हताहत लोगों का भी होगा श्राद्ध – राजकुमार

जैविक युद्ध कोरोना में हताहत लोगों का भी होगा श्राद्ध – राजकुमार

-शहीद भी हमारे पुरखे ही हैं - पीएन द्विवेदी -पुरखों के साथ संबंध स्थापित करने की वैज्ञानिक विधि है श्राद्ध-तर्पण - डॉ. हरनाम सिंह लखनऊ, 13 सितम्बर (हि.स.)। शहीद पितरों के श्रद्धार्पण में इस बार जैविक युद्ध कोरोना में हताहत लोगों का भी भाव तर्पण होगा। स्वाधीनता संग्राम, भारत विभाजन व राष्ट्र रक्षा एवं चाइना द्वारा प्रायोजित जैविक युद्ध में शहीद हुए असंख्य क्रान्तिवीरों को सामूहिक तर्पण श्रद्धांजलि ‘शहीद पितृ श्रद्धा नमन’ कार्यक्रम के माध्यम से होगा। यह बातें जागृयाम फेसबुक पेज द्वारा आयोजित वेबिनार में मुख्य वक्ता सुमंगलम सेवा साधना संस्थान के सचिव साधक राजकुमार ने कही। उन्होंने आगे कहा कि यह श्राद्ध कार्यक्रम पितृपक्ष अमावस्या के अवसर पर सत्रह सितम्बर को लखनऊ के शहीद स्मारक परिसर में होगा जहां सरकार के कोरोना एडवाइजरी को ध्यान में रखते हुए विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि एकत्र होंगे तथा सांकेतिक रुप से श्राद्ध अनुष्ठान पूरा करेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से पूर्वजों के संस्कारों को याद करते हैं। कर्तव्य फाउण्डेशन के महासचिव डॉ. हरनाम सिंह ने कहा कि शहीद पितरो को श्रधांजलि अर्पित करने के पीछे का भाव है की युवा पीढ़ी में अपने पूर्वजों की कृतज्ञता के साथ माता-पिता और बड़ों का सम्मान करने की प्रवृत्ति जाग्रति हो। जीवन की प्रगति, पुरुषार्थ और दिव्यता पुरखों के आशीष से ही फलीभूत होती हैं। देश के शाश्वत सत्य को उजागर करने और पुरखों के साथ संबंध स्थापित करने की वैज्ञानिक विधि है श्राद्ध-तर्पण। पद्मश्री वचनेश स्मृति संस्थान के सचिव एसके गोपाल ने शहीदों के भाव तर्पण के अनुष्ठान को सनातन मूल्यों की जीवन्तता का प्रतीक बताया। आचार्य डॉ. विनोद मिश्रा ने श्राद् -तर्पण की वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक पक्ष को रखते हुए तर्पण की विधि -विधान का वर्णन किया। वेबिनार अध्यक्षता करते हुए हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी ने कहा की सनातन संस्कृति में पितरों के प्रति श्रद्र्धापण की सुदीर्घ परंपरा है। शहीद भी हमारे पुरखे ही हैं। श्राद्ध पक्ष में कौवा का संरक्षण होता है जिससे पीपल- बरगद के वृक्ष सहित पूरी सृष्टि का संरक्षण मिलता है। सर्वपितृ अमावस्या पर दुनिया के पितरों को भारत की भूमि ही केवल तर्पण करती है। भारतीय संस्कृति विश्वकल्याण की है। तर्पण केवल भारत का नागरिक ही करता है। ओजस्वी कवि प्रख्यात मिश्रा ने “तेरे पूर्वजों ने जो लिखा है पुण्य इतिहास, इतिहास लाडले वो तू भी दुहरायेगा” कविता के माध्यम से शहीदों की श्रदांजली अर्पित किया। इस वर्चुवल संगोष्ठी में फेसबुक लाइव के माध्याम से विभिन्न स्थनों से लोग जुड़े कर देश की सुख-शांति-समृद्धि का संकल्प लिया। हिन्दुस्थान समाचार/दीपक-hindusthansamachar.in

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