जेएनसीयू : 'पश्चिमी प्रभाव के कारण बढ़ रहा लिव इन रिलेशनशिप'
जेएनसीयू : 'पश्चिमी प्रभाव के कारण बढ़ रहा लिव इन रिलेशनशिप'

जेएनसीयू : 'पश्चिमी प्रभाव के कारण बढ़ रहा लिव इन रिलेशनशिप'

- जेएनसीयू ने आयोजित किया 'नारी: भारतीय एवं वैश्विक संदर्भ' विषयक राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी बलिया, 01 सितम्बर (हि.स.)। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ की ओर से मंगलवार को 'नारी: भारतीय एवं वैश्विक संदर्भ' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कई वर्तमान व पूर्व कुलपतियों ने व्याख्यान दिया। इसमें वक्ताओं ने कहा कि हमारी संस्कृति सुदृढ़ रही है लेकिन पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण वर्तमान में लिव इन रिलेशनशिप बढ़ रहा है। संगोष्ठी के आरम्भ में पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो निर्मला एस. मौर्य ने बीज-वक्तव्य दिया। उन्होंने आधी आबादी को हाशिए पर धकेले जाने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में नारियों का गौरवशाली इतिहास रहा है, जिसे संजोते हुए पुनः नारियों की गरिमा को बहाल करने की जरूरत है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता महात्मा गांधी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो पृथ्वीश नाग 'भारतीय संस्कृति में नारी: कल, आज और कल' विषय पर अपने विचार रखे। अद्यतन आंकड़ों और तथ्यों के हवाले से उन्होंने कहा कि दुनिया भर की महिलाएं तमाम क्षेत्रों में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। किन्तु विडम्बना यह है कि हमारा पितृसत्तात्मक समाज उनके कार्यों को अपेक्षित महत्व नहीं देता। निश्चय ही हमें स्त्रियों के प्रति इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। विशिष्ट वक्ता महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर की पूर्व कुलपति प्रो चन्द्रकला पाडिया ने 'वर्तमान समय में नारी की अस्मिता' विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने नारी-जीवन के विविध पक्षों का सूक्ष्म विश्लेषण किया और भारतीय स्त्री को पश्चिम की तुलना में विशिष्ट बताया। महादेवी वर्मा को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय नारी आसमान में चाहे जितनी ऊंची उड़ान भर ले, परन्तु उसे अपने नीड़ में पहुंचने की आतुरता होती है और वह होनी भी चाहिए। अतिथि वक्ता सतीश चन्द्र महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या प्रो प्रतिभा त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति को परिभाषित करते हुए स्त्रियों को उसका आधार कहा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी प्रभाव के कारण 'लिव-इन रिलेशनशिप' जैसी बुराइयां हमारे समाज में आ रही हैं, यह चिन्ताजनक स्थिति है। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति नारी बनाम पुरुष के रूप में इन दोनों का संबंध नहीं देखती। बल्कि वह इन दोनों के साहचर्य और सह-अस्तित्व को स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति में नारी का आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होना जरूरी है, किन्तु ध्यान रहे यह स्वतंत्रता स्वच्छन्दता का पर्याय न बने। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पदाधिकारी डा. रविन्द्र प्रताप राघव, डा. दिलीप श्रीवास्तव, डा. दयालानन्द राय, डा. जैनेन्द्र पाण्डेय, उच्च शिक्षा से सम्बद्ध प्राध्यापक, शोधकर्ता और विद्यार्थी इस वेबिनार से विभिन्न माध्यमों के जरिए जुड़े रहे। डा. ममता वर्मा, डा. उदय पासवान, श्रीमती सन्ध्या पाण्डेय, डा. अनिल कुमार ने कार्यक्रम में सक्रिय सहयोग दिया। संगोष्ठी का संचालन डा. निशा राघव व डा. रामकृष्ण उपाध्याय ने संयुक्त रूप से किया। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/उपेन्द्र/मोहित-hindusthansamachar.in

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