चाइनीज राखियों को हाशिये पर लाएंगी  बाजार में आयीं  ईको फ्रेंडली  राखियां
चाइनीज राखियों को हाशिये पर लाएंगी बाजार में आयीं ईको फ्रेंडली राखियां

चाइनीज राखियों को हाशिये पर लाएंगी बाजार में आयीं ईको फ्रेंडली राखियां

-आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत प्रशिक्षित महिलाओं ने तैयार की देसी अंदाज में राखियां गाजियाबाद, 29 जुलाई (हि.स.)। चाइनीज राखियों को देश के बाजार से हाशिए पर लाने के लिए गाजियाबाद जिला प्रशासन ने बुधवार को अघोषित रूप से ईको फेंडली राखियां बाजार में उतार दी है। ये राखियां दाल, चावल गेहूं, गेंदे के फूल ,मायक्रोनी और बाजरा आदि से बनायी गयी हैं। ये सभी राखियां सहायता समूहाें द्वारा तैयार की गयी हैं। जिला प्रशासन के सहयोग से केंद्र सरकार के आत्म निर्भर भारत मिशन के तहत जिलामिशन प्रबन्धन इकाई और रूडसेट संस्थान ने बेरोजगार महिलाओं को अपने यहां प्रशिक्षण देकर इन राखियों को तैयार कराया है। जिला विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया कि इस कार्य के लिए सैंतीस महिलायें प्रशिक्षित हो चुकी हैं। इन महिलाओं ने ईको फ्रेडली बनायी गयी राखियों के स्टाल विकास भवन के अलावा शहर के मुख्य मार्गों और बाजार में भी लगाये हैं। इन राखियों का आकर्षण ऐसा है जो भी लोग देखते है वे बरबस आकर्षित हो जाते हैं। लाल ने बताया कि इन राखियों की कीमत 11 रुपये से लेकर 40 रुपये तक रखी गयी है। मजे की बात यह है कि यदि राखी टूट कर कहीं गिरती है या पर्व के बाद राखी को कलाई से उतार दिया जाता है तो उसमें लगे हुए विभिन्न खाद्यान्नों के बीज कहीं भी उगाये जा सकते हैं। यानि की आम के आम गुठलियों के दाम ,इन राखियों पर यह कहावत चरितार्थ हो रही है। इसके विपरीत चाइनीज राखियों की कीमत इस समय 70 से 500 रुपये तक बिक रही है। जब से बाॅर्डर पर ड्रैगन ने भारत की तरफ आंखे तरेरी हैं तब से भरतीय बाजार में चाइनीज सामान का श्रेय से बहिष्कार किया जा रहा है हिन्दुस्थान समाचार /फरमान अली.-hindusthansamachar.in

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