घायल गवाह का बयान अन्य साक्ष्यों से सुसंगत न होने पर अविश्वसनीयः हाईकोर्ट
घायल गवाह का बयान अन्य साक्ष्यों से सुसंगत न होने पर अविश्वसनीयः हाईकोर्ट

घायल गवाह का बयान अन्य साक्ष्यों से सुसंगत न होने पर अविश्वसनीयः हाईकोर्ट

प्रयागराज, 16 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जानलेवा हमला करने के मामले में यदि घायल भुक्तभोगी गवाह का बयान अन्य साक्ष्यों से सुसंगत नहीं है तो ऐसे बयान को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है और अभियुक्तगण संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने संतकबीर नगर के अभियुक्त जोगेंद्र सिंह और जगदीश सिंह को हत्या के प्रयास के आरोप से बरी कर दिया है। दोनों को सेशन कोर्ट ने सात-सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। अपील पर न्यायमूर्ति अनिल कुमार नवम् ने सुनवाई कर यह आदेश दिया। मामले के अनुसार 11 नवंबर 2013 को घ्रुपद चंद ने मेंहदावल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता सूर्यनाथ ने अभियुक्त जोगेंद्र सिंह को एक जमीन बेची थी। जिसके दो लाख रुपये बकाया थे। रुपये मांगने पर 10 और 11 नवंबर की रात अभियुक्तगण अपने कुछ साथियों के साथ आए और सूर्यनाथ के दोनों हाथ तथा गला रस्सी से बांधकर सादे कागज पर दस्तखत करा लिए। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। जिस पर सेशन कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को सात-सात वर्ष कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने अपील की सुनवाई करते हुए कहा कि अभियुक्त ने जो अपने बयान में कहा है वह बात मेडिकल साक्ष्य से साबित नहीं होती है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक उसके गले पर मात्र कुछ पुराने खरोंच के निशान हैं। जबकि गवाह का कहना है कि उसे डंडे से मारने के बाद रस्सी से गला और हाथ कसा गया फिर कुछ दूर तक घसीटा भी गया। ऐसी स्थिति में बयान पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। कोर्ट ने संदेह का लाभ देकर अभियुक्तों को रिहा करने का आदेश दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/राजेश-hindusthansamachar.in

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