ग्रामोदय में वेस्ट मैनेजमेंट पर वेबिनार सम्पन्न
ग्रामोदय में वेस्ट मैनेजमेंट पर वेबिनार सम्पन्न

ग्रामोदय में वेस्ट मैनेजमेंट पर वेबिनार सम्पन्न

ग्रामोदय विश्वविद्यालय में वेस्ट मैनेजमेंट पर वेबीनार संपन्न -वेस्ट के सुचारू उपयोग एवं उचित प्रबंधन द्वारा समाधान संभव चित्रकूट, 28 जून(हि. स.)। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय द्वारा रविवार को आयोजित वेस्ट मैनेजमेंट विषयक वेबीनार सफलतापूर्वक संपन्न हुआ! वेबीनार के विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ अंजनेय पांडेय ने इस वेबीनार में उपस्थित समस्त विद्वत जनों का स्वागत किया। वेबीनार का उद्घाटन करते हुए करते हुए कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद गौतम ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन निश्चित तौर पर वेस्ट के प्रति लोगों की सोच को परिवर्तित करेंगे, उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए न्यूनतम परिमाण में अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करेंगे जिससे इसके निपटान, रखरखाव आदि सुगमता से संभव हो सके! कुलपति प्रो. गौतम ने इस वेबीनार के आयोजकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने अपने उद्बोधन में इस ओर इंगित किया कि विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों के उचित प्रबंधन द्वारा इनका उपयोग विभिन्न उत्पादन प्रक्रिया में करते हुए इनका उचित निपटान करना संभव है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले अपशिष्ट पदार्थों के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए स्पष्ट किया कि उत्सर्जित होने वाले अपशिष्ट पदार्थों का संग्रहण तथा इसका निपटान उचित रूप से नहीं हो पा रहा है जो कि एक गंभीर समस्या है। रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज बांदा के निदेशक प्रो. एस. पी. शुक्ला ने अपने उद्बोधन में अपशिष्ट पदार्थों के परिवहन की समस्या की ओर इंगित किया तथा बताया कि वेस्ट कलेक्शन की क्षमता वर्तमान में अपर्याप्त है अतः इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भारतीय वन सेवा के अधिकारी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक इं. विश्राम सागर शर्मा ने अपने विशिष्ट व्याख्यान में कहा कि वन क्षेत्र का कोई भी पदार्थ अनुपयोगी नहीं होता है बल्कि प्रत्येक वन उत्पाद रोजगार परक एवं जीवन उपयोगी है! उन्होंने कहा कि हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों का संग्रहण सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए तदनुसार उस का निपटान किया जाना आवश्यक है! आमंत्रित व्याख्यानो की श्रृंखला में आईआईटी बनारस हिंदू प्रो. के के पाठक, इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा के प्रो. आरपी तिवारी, मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर इं. आर के गुप्ता , एमिटी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के डॉ. मोहन कंथारिया , कोटा टेक्निकल यूनिवर्सिटी के डॉ एके द्विवेदी, एन एच ए आई के प्रोजेक्ट मैनेजर इं.सुमेश बंजल, इं.अतुल अग्रवाल एजीएम एनटीपीसी आदि ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए! वेबीनार के संयोजक डॉ. रविकांत श्रीवास्तव द्वारा इस सेमिनार के विषय संबंधी जानकारी प्रस्तुत की, कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के अंत में इं. सी.पी. बस्तानी ने विशिष्ट अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में इं राजेश सिन्हा, इं. रमाकांत त्रिपाठी, प्रो. बृजेश कुमार उपाध्याय, डॉ साधना चौरसिया, इं. धर्मेंद्र सिंह , डॉ. राकेश कुमार श्रीवास्तव ,इं. नीरज कुमार सहित 35 प्रतिभागियों ने अपने व्याख्यान देने हेतु शोध पत्र प्रस्तुत किये हैं । प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. अंजनेय पांडे तथा द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता इं. के पी मिश्रा ने की! वेबीनार में डॉ अजय कुमार, इं. वी. के. गुप्ता, इ. एस. ओझा, इं. अश्वनी दुग्गल , इं. राजेश कुमार खरिया, डॉ वंदना पाठक, डॉ अभय कुमार वर्मा, प्रो. नंदलाल मिश्रा,प्रो. हरिशंकर कुशवाहा, डॉक्टर योगेंद्र कुमार सिंह , डॉ जयप्रकाश शुक्ला आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इस कार्यक्रम के दौरान वेबीनार रूम खचाखच भरा रहा, इस कार्यक्रम हेतु 550 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया था। समाचार लिखे जाने तक वेबीनार चल रहा था। इसके देर तक जारी रहने की संभावना है । वेबीनार के तकनीकी संयोजन में डॉ. गोविंद सिंह, इं. विवेक सिंह, इं. नीरज कुमार की विशेष भूमिका रही। हिन्दुस्थान समाचार/रतन/मोहित-hindusthansamachar.in

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