गूगल व चैनल यूट्यूब से विवादित सामग्री हटाने के एकपक्षीय आदेश पर  यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश
गूगल व चैनल यूट्यूब से विवादित सामग्री हटाने के एकपक्षीय आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश

गूगल व चैनल यूट्यूब से विवादित सामग्री हटाने के एकपक्षीय आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश

प्रयागराज, 05 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्च इंजन गूगल और इसके चैनल यूट्यूब पर से विवादित सामग्री और उसका वेब लिंक हटाने के सेशन कोर्ट कानपुर नगर के एकपक्षीय आदेश पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शिकायतकर्ता अरुण मिश्र से इस मामले में जवाब तलब किया है। गूगल एलआईसी और गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इस मामले में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर सेशन कोर्ट के 15 फरवरी 2020 और 14 सितंबर 2020 के आदेश को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए मामले में अगले आदेश तक यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। गूगल और गूगल इंडिया का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि सेशन कोर्ट ने स्थायी निषेधाज्ञा का आदेश एकपक्षीय पारित किया है। याची को उसका पक्ष रखने और सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। याची के विरुद्ध इस मामले में दाखिल सिविल सूट की उसे जानकारी नहीं थी और न ही उसे कोई नोटिस प्राप्त हुआ। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि सिविल सूट और निषेधाज्ञा अर्जी में गूगल का जो पता दिया गया है वह सही नहीं है। नोटिस जिसके पते पर भेजा गया वह गूगल का अधिकृत एजेंट नहीं है। इसलिए सिविज जज सीनियर डिविजन ने 15 फरवरी को याची के विरुद्ध स्थायी निषेधाज्ञा का आदेश पारित करते हुए उसे विवादित सामग्री यूट्यूब चैनल और गूगल से वेबलिंक हटाने का आदेश दिया। इस आदेश की जानकारी होने पर गूगल की ओर से सेशन कोर्ट में स्थगन आदेश हटाने की अर्जी दी गई मगर सेशन कोर्ट ने 14 सितंबर को उसकी अर्जी खारिज कर दी। जिसे याचिका में चुनौती दी गई है। यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजिनियर अरुण मिश्र ने गूगल एलआईसी और यू ट्यूब के खिलाफ कानपुर नगर की सिविल कोर्ट में वाद दाखिल किया है। जिसमें कहा गया है कि पूर्व में उनके विरुद्ध कुछ विभागीय कार्यवाही हुई थी। उन सभी मामलों में अब उनको उत्तराखंड और दिल्ली के उच्च न्यायालयों से क्लीन चिट मिल चुकी है। इसके बावजूद गूगल या यूट्यूब पर अरुण मिश्र का नाम सर्च करने पर उनके बारे में वही पुरानी सामग्री दिखाई जाती है, जिसमें वह बरी हो चुका है। मांग की गई है कि गूगल को उनसे जुड़ी जानकारियां हटाने का आदेश दिया जाए। सिविल कोर्ट ने इसे लेकर दाखिल स्थायी निषेधाज्ञा की अर्जी एकपक्षीय रूप से स्वीकार कर ली है। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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