गंगा जल में खड़े हो उगते सूर्यदेव को अर्पण किया अर्घ्य
गंगा जल में खड़े हो उगते सूर्यदेव को अर्पण किया अर्घ्य

गंगा जल में खड़े हो उगते सूर्यदेव को अर्पण किया अर्घ्य

चार दिवसीय छठ पूजन अनुष्ठान का समापन मीरजापुर, 21 नवम्बर (हि.स.)। लोक आस्था का महापर्व खरना से शुरू हुए सूर्य षष्ठी अनुष्ठान का कार्तिक शुक्ल सप्तमी यानी शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने के साथ पारायण हो गया। व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रह कर सूर्यदेव की बहना छठी मइया से संतान के सुख, शांति, समृद्धि, आरोग्य की प्रार्थना की। शुक्रवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दे रात भर व्रतियों ने भगवान भाष्कर का जप किया। शनिवार को पौ फटने से पहले ही हाथों में अखंड दीप लिये पवित्र गंगा जल में डूबकी लगाकर सूर्यदेव के उदयास्थल की ओर टकटकी लगाये कमर भर पानी में खड़ी हो गईं। जैसे अपनी अरुणिमा के साथ सूर्य देव का आकाश पर आगमन हुआ, वैसे ही उत्साह छा गया। मंदिरों के घंटे-घड़ियाल बज उठे और सूर्य की अभ्यर्थना में हजारों हाथ ऊपर उठे। गंगा जल, दुग्ध से अर्घ्य दिया। बांस के सूप में प्रसाद फल-फूल, नारियल, ठेकुआ आदि रख अर्पित किया। इसके बाद व्रतियों ने सूर्यदेव की ओर अपने आंचल फैलाकर अशीर्वाद लिया। गंगा में कमर भर पानी में खड़ी होकर सूर्यदेव के अनुष्ठान के पूरा होते ही घाट पर खड़ी महिलाएं, युवतियां, बेटी, बेटे रिश्तेदार व्रतियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने के लिए दौड़ पड़े। मान्यता यह है कि अनुष्ठान करने महिला का आशीर्वाद जीवन में फलित होता है। नगर के बरियाघाट पर मंदिर की छत पर खड़े होकर गंगा में सूर्य को अर्घ्य देने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर महिला कांस्टेबल पल-पल नजरे गड़ाये रही। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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