कौशाम्बी के बीएसए ने कटवा दिए 7 शिक्षकों के नाम, जो ट्यूशन पढ़ाये उसको 'ईनाम'
कौशाम्बी के बीएसए ने कटवा दिए 7 शिक्षकों के नाम, जो ट्यूशन पढ़ाये उसको 'ईनाम'

कौशाम्बी के बीएसए ने कटवा दिए 7 शिक्षकों के नाम, जो ट्यूशन पढ़ाये उसको 'ईनाम'

- राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए लखनऊ भेजे सिर्फ दो नाम - जिस महिला का ट्यूशन पढ़ाने का आडियो वायरल, उसे दे दी हरी झंडी - महिलाओं के साथ पक्षपात के लिए पहले भी विवाद में फंस चुके हैं एक एबीएसए - 27 अगस्त को होना है प्रयागराज मण्डल के शिक्षकों का साक्षात्कार - बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि साक्षात्कार व प्रस्तुतिकरण के आधार पर होगा चयन, गड़बड़ी होने पर दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा - दोआबा में राज्य शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया पर खड़े हुए सवाल लखनऊ/कौशाम्बी, 25 अगस्त(हि.स.)। कौशाम्बी में राज्य शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया पर सवालियां निशान लग गए हैं। दरअसल, आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने यहां 10 आवेदकों में सिर्फ दो के नाम ही राज्य स्तरीय समिति को अंतिम साक्षात्कार के लिया भेजा है। जो सरासर नियम विरुद्ध है। उस सूची में एक शिक्षिका तो ऐसी हैं जो ट्यूशन भी पढ़ाती हैं और पुरस्कार मिलने को लेकर पूरी तरह से आशान्वित हैं। इस शिक्षिका का ऑडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। अफसरों की इस मनमानी से जिले भर के अध्यापकों में नाराजगी है। एक शिक्षक पर एफआईआर हो जाने के कारण आपात्र हो गए। उत्तरप्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि राज्य शिक्षक चयन पुरस्कार के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। इस पुरस्कार के लिए जो भी शिक्षक अपने को योग्य समझे उसे आवेदन करने की छूट थी, फिर भी कोई गड़बड़ी सामने आती है तो उसका निष्पक्ष जांच कराया जायेगा। बताया कि इतना जरूर था कि जिला स्तर पर बीएसए औेर जिलाधिकारी के माध्यम से आवेदकर्ताओं का वेरिफिकेशन होना था। इसके बावजूद भी अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो उसका निष्पक्ष जांच करायेंगे। बताया कि इस पुरस्कार के लिए प्रदेश स्तर पर डीजी यूपी बेसिक शिक्षा अभियान व सचिव विजय किरण आनन्द के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है। जिस भी जनपद से दो से तीन नाम चयन करके आया है, उनका साक्षात्कार व प्रस्तुतिकरण के बाद ही उक्त पुरस्कार के लिए चयन होगा। अगर कोई शिक्षक पुरस्कार मिलने से पहले ही आशान्वित है तो इस पर अभी से कुछ कहना उचित नहीं है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षक दिवस पर बेहतर योगदान देने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत करता है। पुरस्कार के लिए आवेदन करने वाले अध्यापकों के नाम जिला स्तर पर ही न रोक दिए जाएं, इसके लिए इस दफा आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई थी। ऑनलाइन करने वालों का स्थानीय स्तर पर विभागीय अधिकारियों को सिर्फ वेरीफिकेशन करना था। यानी कि यह पता करना था कि आवेदक के खिलाफ कोई विभागीय या आपराधिक कार्रवाई तो नहीं हुई है। हैरानी की बात है कि जनपद के अफसरों ने ऑनलाइन प्रक्रिया में भी खेल कर दिया। रिकार्ड पर नजर डालें तो जिले के दस शिक्षकों ने आवेदन किया था। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखते हुए अधिकारियों ने इनमें से सिर्फ दो का नाम अंतिम साक्षात्कार के लिए राज्य स्तरीय समिति को भेजा। इसे लेकर बाकी आवेदक मायूस हैं। चायल ब्लॉक के रसूलाबाद उर्फ कोइलहा गांव की चयनित शिक्षिका शालिनी कुशवाहा का एक कथित ऑडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। जिसमें वह साफ कह रही हैं कि अवार्ड मिलने के बाद ट्यूशन पढ़ाएंगे। अवार्ड के चक्कर में ही कुछ दिनों के लिए कोचिंग पढ़ाना बंद कर दिया है। नियमों पर गौर करें तो ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षक का चयन होना ही नहीं चाहिए। वहीं दूसरे शिक्षक दीप नारायण मिश्र रामपुर धमावां प्राइमरी स्कूल में तैनात हैं। अब सवाल यह है कि अधिकारियों ने आखिर बाकी आठ आवेदकों के साथ नाइंसाफी क्यों की। आवेदक अजय साहू का नाम काटा जाना समझ में आता है, क्योंकि उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज है। बचे सात नाम छटने से खफा हैं। तीन आवेदकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा महानिदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह से पत्र भेजकर कर दी है। शासन ने साक्षत्कार समिति में सभी मंडलों के सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशकों (एडी) को सदस्य बनाया है। इसलिए कौशांबी के मामले की शिकायत उनसे भी की गई है। ऐसी है चयन प्रक्रिया 15 अगस्त के पहले तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। 20 अगस्त को बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतिम साक्षात्कार के लिए मंडलवार तारीखें घोषित कर दीं। 21 अगस्त से लखनऊ में अधिकारियों ने साक्षात्कार शुरू कर दिया। प्रयागराज मंडल के शिक्षकों को 27 अगस्त को बुलाया गया है। साक्षात्कार में सफल होने वाले को सम्मानित किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों को सिर्फ वेरीफिकेशन का अधिकार है। किसी आवेदक का नाम छाटने का हक उन्हें नहीं है। इन्होंने किया था आवेदन सचिन कुमार ओझा (कसया पश्चिम), इनका नाम पिछले साल लखनऊ तक भेजा गया था। नृपजीत सचान (डोरामा), पंकज सिंह (लोधना), सविता सिंह (सइबसा), पूनम सिंह (रसूलाबाद), क्षमा सचान (मोहम्मदपुर), ओमप्रकाश सिंह (उमरछा)। इन आवेदकों के नाम नियमों को ताक पर रखकर छाट दिए गए हैं। ध्यान रहे कि अफसरों की मनमर्जी को रोकने के लिए ही ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे, पर अफसरों ने इसे भी अपने हिसाब से कर लिया। सिर्फ कौशांबी से दो नाम क्यों? शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि जब 10 लोगों ने आवेदन किया तो बीएसए ने सिर्फ दो लोगों के ही नाम लखनऊ क्यों भेजे? शेष आवेदकों के नाम क्यों, किस आधार पर छांटे। क्या उन्हें नियमावली के तहत यह अधिकार हासिल हैं? जबकि अन्य जिलों से दो दर्जन से अधिक नाम गए हैं। यानी जिसने आवेदन किए, उनके सबके। एक ही स्कूल से दो-दो शिक्षकों के नाम भी फतेहपुर की खागा तहसील के एक स्कूल से गए हैं। महिलाओं से पक्षपात में एबीएसए पहले भी विवादित जिस स्कूल की महिला का आडियो वायरल है, वह चायल ब्लाॅक का है। वहाँ के एबीएसए सुनील पिछले वर्ष दीवाली मेला के दौरान भी विवाद में आए थे। उनके बारे में एक वीडियो भी यूट्यूब पर चला था और अखबारों में भी आरोप सामने आए थे। एडी बेसिक रमेश तिवारी का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में नहीं है। इस बाबत कौशाम्बी के बीएसए से बातचीत की जाएगी। पूछा जाएगा कि ऐसा किन परिस्थितियों में किया गया। आरोप सही पाए गए तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। बीएसए, कौशाम्बी राजकुमार पण्डित ने बताया कि सभी एबीएसए से जांच कराई, और उसी आधार पर नाम भेजे गए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश-hindusthansamachar.in

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