कोरोना को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करेंः दया शंकर सिंह
कोरोना को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करेंः दया शंकर सिंह

कोरोना को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करेंः दया शंकर सिंह

-फ्रंटलाइन वर्कर्स को वेबीनार में वर्तमान चुनौतियों और उनके समाधान से अवगत कराया गाजियाबाद, 01 सितम्बर (हि.स.) । कोरोना वायरस (कोविड-19) के दौर में भी मातृ-शिशु, प्रजनन व पोषण संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने के साथ ही इस आपदा से निपटने को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुटीं फ्रंटलाइन वर्कर (आशा संगिनी व एएनएम) के लिए मंगलवार को एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में हुई इस कार्यशाला में यूनिसेफ, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) व सेंटर फोर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) सहयोगी की भूमिका में थे। कार्यशाला में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वर्तमान चुनौतियों से निपटने के गुर सिखाये गए। कार्यशाला का शुभारंभ जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी (डीएचईआईओ) छाया वर्मा ने किया। स्वागत सत्र के बाद जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) अनुराग भारती और उनकी टीम से पूजा सक्सेना ने प्रस्तुतीकरण के जरिए कोविड-19 से बचाव करने तरीके सुझाए। यूपीटीएसयू की संचार विशेषज्ञ ने बताया- कोरोना के दौरान ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), परिवार नियोजन, टीकाकरण सहित सभी स्वास्थ्य सेवाएँ स्थगित कर दी गयीं थीं जिन्हें फिर से नए दिशा निर्देशों के साथ शुरू किया गया है। उन्होंने कहा- वीएचएनडी, गृह भ्रमण और एचबीएनसी के दौरान आप सभी को कोविड से बचाव के सभी प्रोटोकोल का पालन करना है। परिवार के सदस्यों को घर से बाहर आवाज देकर बुलाना है और बाहर ही बात करनी है। कन्टेनमेंट जोन में सत्र का आयोजन नहीं करना है। जिन घरों में कम वजन का बच्चा हुआ हो या समय पूर्व बच्चे का जन्म हुआ हो या बच्चा एसएनसीयू से वापस आया है या घर में ही प्रसव हुआ हो उन घरों में एचबीएनसी सेवाओं को प्राथमिकता देनी है। इस अवसर पर यूनिसेफ से दयाशंकर सिंह ने कोविड को लेकर जो भ्रांतियां और भेदभाव हैं, उस पर चर्चा करते हुए कहा कि इनको दूर करने में फ्रंट लाइन वर्कर्स की अहम भूमिका है। वह समाज में इस पर अवश्य चर्चा करें और केवल तथ्यात्मक संदेशों को ही समुदाय तक पहुंचाएं। सीफार की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने स्वास्थ्य संचार के महत्त्व को बताते हुए कहा कि कोविड के साथ-साथ प्रजनन, मातृ-शिशु, नवजात, किशोर स्वास्थ्य के अलावा पोषण के स्वास्थ्य संदेशों को समुदाय तक इस तरह पहुँचाना है कि वह इन सेवाओं को लेने के लिए स्वयं आगे आयें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संचार को रोचक बनाना होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभांवित हों। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली / रामानुज-hindusthansamachar.in

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