कोरोना काल में वरदान साबित हुई वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना, मोटे अनाजों का हो रहा संरक्षण व संवर्धन
कोरोना काल में वरदान साबित हुई वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना, मोटे अनाजों का हो रहा संरक्षण व संवर्धन

कोरोना काल में वरदान साबित हुई वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना, मोटे अनाजों का हो रहा संरक्षण व संवर्धन

चित्रकूट,20 जून (हि.स.)। राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र गनीवा के माध्यम से चित्रकूट जनपद के पांच गांवों में वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना का संचालन हो रहा है। जिसके अंतर्गत मोटे अनाजों, सांवा, कोदो, कुटकी, रागी का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने शनिवार को बताया कि चित्रकूट जनपद के ग्राम कोलगधिया ग्राम में परियोजना के माध्यम पिछले खरीफ सीजन में फसल सांवा का एक किलोग्राम बीज कृषक रामगोपाल एवं चुनकौना यादव को दिया गया था। जिससे सांवा के बीज को बढ़ाया जा सके। जिसके फलस्वरूप इस खरीफ सीजन मे सांवा का 40 किलोग्राम उत्पादन प्राप्त हुआ। जिसे इस खरीफ सीजन मे 20 कृषकों द्वरा उगाया जा रहा है। कृषकों से पूछने पर यह ज्ञात हुआ की इन मोटे अनाजों को अपने दैनिक आहार मे शामिल करने पर शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। जो आज के दौर मे काफी आवश्यक है। कृषकों से चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि पहले इन बीजो की खेती बहुतायत होती थी, लेकिन डंकल, हाइब्रिड बीजों के चलन से इन बीजों का बीज भी टूट या नष्ट हो गया है। ग्राम कोलगधियां के कृषकों ने दीनदयाल शोध संस्थान एवं वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना को धन्यवाद दिया है कि वो हमारे पारंपरिक बीजो का संरक्षण एवं संवर्धन करने के लिए हमें प्रेरित कर रहे है। चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि आज भी जब गांव में कोई बीमार होता है तब ग्रामवासी उस बीमार व्यक्ति को सांवा की खीर बनाकर खिलाने की सलाह देते है। इन्ही कारणों से सभी कृषक मोटे अनाजों को उगाने के लिए तैयार हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रतन/मोहित-hindusthansamachar.in

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