कृषि अपशिष्ट जलाने वालों को अब मिलेगी आर्थिक दंड अथवा कारावास की सजा
हापुड़, 02 सितम्बर (हि.स.)। जनपद में कृषि अपशिष्ट जलाए जाने पर अब पहली बार में आर्थिक दंड और दूसरी बार पकड़े जाने पर आर्थिक दंड अथवा कारावास अथवा दोनों की सजा दी जा सकेगी। प्रदेश के विभिन्न जनपद प्रशासन को पत्र लिख कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। कृषि उपनिदेशक वी.बी. सिंह ने बताया कि मुख्य सचिव ने जिला प्रशासन को पत्र लिख कर बताया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कृषि अपशिष्टों (गन्ने की पत्ती और पराली आदि) जला कर प्रदूषण फैलाने वाले किसानों को दंडित करने का आदेश दिया है। मुख्य सचिव ने अपने पत्र में बताया कि अधिकरण के आदेश के अनुसार दो एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान द्वारा कृषि अपशिष्ट जलाने पर 2500 रुपये, दो एकड़ से पांच एकड़ तक कृषि भूमि के स्वामी किसान पर पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि के स्वामी किसान पर 15 हजार रुपये आर्थिक दंड वसूल किया जाए। अधिकरण के आदेश के अनुसार एक बार आर्थिक दंड वसूले जाने के बाद भी यदि कोई किसान दोबारा कृषि अपशिष्ट जला कर प्रदूषण फैलाने का दोषी पाया जाए तो उसे कारावास अथवा आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जाए। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि जनपद में कृषि अपशिष्टों को जलाने से रोकने के लिए मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी, पुलिस विभाग एवं कृषि विभाग के सभी अधिकारियों को उक्त निर्देशों का अनुपालन कराए जाने के लिए अधिकृत किया गया है। जनपद स्तर और तहसील स्तर पर सचल दस्तों का गठन किया गया है, जो कृषि अपशिष्ट जलाए जाने की घटना पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कृषकों से अनुरोध किया कि कृषि अपशिष्टों को जलाने के बजाय उन्हें सड़ाने के लिए खेतों की जुताई के समय प्रति हैक्टर 25 किग्रा यूरिया का छिड़काव कर दें। इससे उसका तीव्र गति से विघटन हो जाता है। अवशेषों का कम्पोस्ट खाद बना कर भी खेतों में प्रयोग किया जाता है। इन दोनों ही प्रक्रियाओं से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और कृषि अपशिष्टों का प्रदूषण किए बिना निस्तारण भी किया जा सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/ विनम्र व्रत त्यागी-hindusthansamachar.in