कासगंज के सोरों में 'मेला मार्गशीष' को लेकर असमंजस की स्थिति
कासगंज के सोरों में 'मेला मार्गशीष' को लेकर असमंजस की स्थिति

कासगंज के सोरों में 'मेला मार्गशीष' को लेकर असमंजस की स्थिति

क्षेत्रीय लोगों को प्रशासन की हरी झंडी का है इंतजार कासगंज 11 दिसंबर (हि.स.)। जनपद कासगंज के तीर्थ स्थल शूकर क्षेत्र सोरों में परंपरागत ढंग से लगने वाले मेला मार्गशीष को लेकर इस वर्ष असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दिसंबर माह में लगने वाले इस मेले को लेकर क्षेत्रीय लोगों द्वारा प्रशासन की हरी झंडी का इंतजार किया जा रहा है। जबकि कोविड-19 की समस्या के चलते प्रशासन यहां मेले के आयोजन की अनुमति के लिए शासन के आदेश पर नजरें गड़ाए हुए है। कासगंज जनपद के अतिरिक्त आसपास के जनपदों के लिए शूकर क्षेत्र सोरों का मेला मार्गशीष कौतूहल का केंद्र रहा है। यहां दिसंबर माह में पड़ने वाले इस मेले के दौरान गंगा में स्नान का काफी महत्व है। यहां प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह की एकादशी के बाद लगातार पूर्णिमा तक तीन स्नान पड़ते हैं। इसके अलावा मेले में तमाम व्यापारी दूरदराज इलाके से यहां पहुंचता है। लगभग 15 दिनों तक संचालित होने वाले इस मेले में लाखों की भीड़ जुटती है। इस बार कोविड-19 के चलते यहां मेले के आयोजन पर शासन-प्रशासन की तलवार लटकी देखी जा रही है। क्षेत्रीय लोगों में मेले के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस संबंध में गंगा भक्त समिति के अध्यक्ष सतीश चन्द्र भरद्वाज का कहना है कि इस बार तिथी के मुताबिक 22 दिसंबर को मेले का उद्घाटन होना चाहिए। इसके बाद पहला स्नान एकादशी को महत्वपूर्ण है। इसका भी आयोजन होना था, लेकिन प्रशासन की ओर से नगर पालिका को तैयारियों के लिए इसी तरह की स्वीकृति प्रदान नहीं की है। फलस्वरूप मेले की स्थिति असमंजस में है। श्री गंगा सभा के अध्यक्ष कैलाश चंद्र कटारे के मुताबिक दिसंबर माह में 25, 26 एवं 29 तारीख को लगातार तीन गंगा स्नान है। जो प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह में संपन्न होते हैं। इन्हीं स्नान के चलते यहां भव्य मेले का आयोजन होता है, लेकिन इस बार मेले के आयोजन में कोविड-19 की समस्या उत्पन्न हो रही है। मेले का आयोजन ना होने से क्षेत्रीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। शूकर क्षेत्र के युवा ज्योतिषी पं. गौरव दीक्षित का कहना है कि प्रदेश सरकार ने मेला मार्गशीर्ष को प्रदेश स्तर का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन इसका आयोजन नहीं करा रही है। जिससे लोगों में काफी रोष है। उनका कहना है कि कोरोना काल मे सरकारें बन रही है। चुनाव हुए हैं, जनसभाये भी हुई हैं, तो फिर मेले का आयोजन भी सरकार को कराना चाहिए। शूकर क्षेत्र सोरों कस्बे के निवासी कंठी माला के व्यापारी विजय अग्रवाल के मुताबिक प्रति वर्ष मेले के आगमन का यहां के व्यापारी इंतजार करते हैं। मेले के दौरान उनकी खासी बिक्री होती है, लेकिन इस बार मेला ना लगने से यहां का व्यापारी मायूस नजर आ रहा है। खेल खिलौने के विक्रेता संतोष अग्रवाल का कहना है कि वह काफी दिन पूर्व से लॉकडाउन के बाद माल स्टॉक कर चुके हैं, लेकिन मेला न लगने से उनके स्टॉक में जो पैसा फसा है। उसकी निकासी मिला न लगने के कारण नहीं हो सकेगी। अभी तक नहीं छोड़ा हरिपदी गंगा में जल गंगा भक्त समिति के अध्यक्ष सतीश चंद्र भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया है कि आगामी 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या है। जो धार्मिक मतानुसार स्नान का पर्व है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिपदी गंगा में स्नान करने पहुंचते हैं। इसके अलावा इस माह में 25, 26 एवं 29 दिसंबर को भी बड़े स्नान हैं। इनके चलते गंगा में जल नहीं छोड़ा गया है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि जल्द ही संबंधित विभाग को निर्देशित कर गंगा में जल छोड़ा जाए। इसके साथ गंगा की साफ-सफाई भी कराई जाए। हिंदुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र सोनी-hindusthansamachar.in

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