एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. टीएन ढोल की कोरोना संक्रमण से मौत
एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. टीएन ढोल की कोरोना संक्रमण से मौत

एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. टीएन ढोल की कोरोना संक्रमण से मौत

लखनऊ, 23 सितम्बर (हि.स.)। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टीएन ढोल की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। पूरी जिंदगी वायरस से लड़ने वाले डॉ. टीएन ढोल को आखिरकार वायरस ने ही हरा दिया। मंगलवार देर रात उनकी मौत हुई। वह देश के प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट थे। चिकित्सा संस्थानों में माइक्रोबायोलॉजी को स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित करने का श्रेय डॉ. ढोल को जाता है। प्रो. टीएन ढोल 100 से अधिक शोध छात्रों के गाइड रहे। 389 शोध पत्र उनके इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में स्वीकार हुए, जिससे तमाम शोध छात्र आज उनके शोध पत्र को बतौर रिफरेंश कोट करते हैं। डॉ.ढोल विगत 04 सितम्बर को कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें कोविड अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया। उनके फेफड़े का अधिकांश हिस्सा संक्रमण की जद में आ गया। उन्हें निमोनिया भी हो गया था। आखिर में तबियत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर लेना पड़ा। लेकिन, डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा सके। डॉ. ढोल ने पोलियो ने एसजीपीजीआई में जापानी इंसेफेलाइटिस, स्वाइन फ्लू वायरस के जांच की तकनीक को स्थापित करने के साथ ही इसका विस्तार किया। एसजीपीजीआई उत्तर भारत का एक मात्र सेंटर बना जहां पर पोलियो के जांच के नमूने आते हैं। पोलियो उन्मूलन के लिए 1998 में प्रोजेक्ट शुरू किया जो आज भी जारी है। इसके आलावा जेई वायरस के जांच की सुविधा स्थापित करने के साथ विस्तार किया। डॉ. ढोल ने संस्थान की नींव के साथ 1988 में बतौर सहायक प्रोफेसर ज्वाइन किया। शुरुआत से ही उन्होंने वायरोलाजी पर काम करना शुरू किया बाद में सेवानिवृत हुए। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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